धान खरीदी में व्यापक भ्रष्टाचार: किसानों का शोषण, अधिकारियों की मिलीभगत..
किसानों की धान को निरस्त किया जा रहा है और व्यापारी 1600-1700 रुपये प्रति क्विंटल में किसानों से धान खरीद रहे हैं..
गांधी वेयर हाउस नान एफएक्यू धान से हो गया पैक..
दमोह- दमोह जिले में धान की खरीदी 23 जनवरी तक होना है। जिले के चार पांच केंद्रों में नान एफएक्यू धान की खरीदी की जा रही है। यहां व्यापारियों से 100 रुपए बोरी धान लेकर अमानक धान की खरीदी हो रही है। अभाना सहकारी समिति की खरीदी गांधी वेयर हाउस जोरतला खुर्द, सिमरी जालम खरीदी केंद्र, बनवार, तेजगढ़ व तेंदूखेड़ा खरीदी केंद्रों पर अमानक धान से गोदाम भरे जा रहे हैं।

धान खरीदी केंद्रों पर सर्वाधिक व्यापारियों द्वारा धान पहुंचाई जा रही है। व्यापारियों द्वारा समिति प्रबंधकों को 100 रुपए प्रति क्विंटल रिश्वत दी जाती है। समिति प्रबंधक शासन से मिलने वाले 27 रुपए व्यय की बचत के लिए व्यापारियों की धान से वेयर हाउस लबालब कराने में फायदेमंद समझते हैं। शुरूआत के दिनों में गिने-चुने किसान ही अपनी धान जमा करते हैं, इसके बाद व्यापारियों के वाहन खरीदी केंद्रों पर धमाचौकड़ी मचाते हुए दिखाई देते हैं। व्यापारियों की धान मालवाहकों से पहुंचती है। हालांकि कुछ व्यापारी ट्रैक्टरों का उपयोग भी करने लगे हैं।

दलालों के हवाले खरीदी केंद्र..
धान खरीदी केंद्रों पर समिति प्रबंधक, सर्वेयर व नोडल अधिकारी मौजूद नहीं रहते हैं। वहां निजी व्यक्ति जो दलाल के रूप में कार्य करते हैं, उनके जिम्मे धान तुलवाने, गोदाम में रखवाने व टैग लगाने की जिम्मेदारी होती है। सोमवार की शाम जोरतला खुर्द गांधी वेयर हाउस में व्यापारियों की धान पहुंच रही थी। जो सीधे सफेद बोरियों से सरकारी बोरियों में पलटी जा रही थीं। जिसमें कचरा भरा हुआ था। यहां पर कोई भी जिम्मेदार नहीं था। यहां पर दलाल अंकित विश्वकर्मा था, जिसके इशारे पर पूरी धान की खरीदी की जा रही थी। गोदाम का सर्वेयर व स्पाट सर्वेयर, समिति प्रबंधक व नोडल अधिकारी सभी गायब थे। इसी तरह की स्थिति बनवार, सिमरी जालम, तेजगढ़ व तेंदूखेड़ा केंद्र पर देखी जा रही है।

किसान का एक दाना काला तो निरस्त हुई धान..
यहां पर अपनी राशि के संबंध में जानकारी लेने आए किसान गोपाल लोधी ने बताया कि अब किसान कहां बचे हैं, व्यापारियों की धान खरीदी जा रही है। किसानों की धान में एक भी दाना सादा यानि काला दाना दिखा तो निरस्त कर दी गई। अब केवल कचरा, माटी और काला सादा की धान से गोदाम भरी जा रही है। यह पूरी धान व्यापारियों द्वारा बेची जा रही है। यहां पर आए एक किसान ने बताया कि 75 प्रतिशत धान के छोटे किसान हैं, जिनके पास साधन भी नहीं हैं, उनकी धान गांव के सेठ साहूकार ही खरीदते हैं और उन्हीं के पंजीयन पर धान जमा करते हैं।

8 लाख की रिश्वत में 32 लाख की कमाई..
समितियों में लगे दलालों द्वारा किसानों की धान को निरस्त किया जाता है। जिससे परेशान किसान व्यापारियों को धान 1600 से 1700 रुपए क्विंटल बेच देते हैं। इसके साथ ही 100 रुपए क्विंटल के हिसाब से पंजीयन भी बेच दिया जाता है। जिससे व्यापारी को धान 1700 से 1800 के बीच पड़ जाती है। व्यापारी 100 रुपए प्रति क्विंटल पर धान जमा करने की सेटिंग धान खरीदी केंद्र पर कर लेता है। अब मान लीजिए एक समिति ने 8 हजार क्विंटल धान व्यापारियों से खरीदी। इस हिसाब से 8 लाख रुपए की अतिरिक्त कमाई एक धान खरीदी केंद्र पर दलालों, समिति प्रबंधकों व सर्वेयरों को हुई। इधर व्यापारी ने 2300 रुपए प्रति क्विंटल में धान भर दी। व्यापारी को एक क्विंटल धान खरीदने में खर्च 1900 रुपए करने पड़े और फायदा 400 रुपए का हुआ। इस तरह 8 हजार क्विंटल धान बेचकर उसने 32 लाख रुपए कमा लिए और उसे महज 8 लाख रुपए रिश्वत देना पड़ी।

मनरेगा की तरह कियोस्क से राशि का आहरण..
धान खरीदी केंद्र पर पंजीकृत किसानों से ही धान खरीदी जाना है, उनके ही खातों में राशि पहुंचाई जाना है। लेकिन कियोस्क सेंटर से जिस तरह मनरेगा की मजदूरी का फर्जीवाड़ा किया जाता है, उसी तरह व्यापारी किसानों के खातों की राशि का भी आहरण कर लेते है। इस हेरा-फेरा में फिनो बैंक सहित ग्रामीण क्षेत्रों में कियोस्क बैंक फर्जीवाड़े के लिए कारगर साबित हो रहे हैं।

भ्रष्टाचार में पटवारी भी होते शामिल..
धान खरीदी से भ्रष्टाचार की शुरूआत पटवारियों द्वारा ही की जाती है। व्यापारी छोटे किसानों के कम जोत पर ज्यादा धान चढ़वाते हैं। अब मान लीजिए एक दो एकड़ के किसान की पैदावार कम होती है, लेकिन अच्छी उपज बताकर ज्यादा मात्रा में धान चढ़ाई जाती है। जिससे सहकारी समितियों का टार्गेट बढ़ जाता है। जब मौसम खराब हो या कम पैदावार हो लेकिन गोदाम टार्गेट से ऊपर भर दिए जाते हैं। दरअसल जबलपुर, कटनी, सिहोरा कृषि उपज मंडियों में धान खरीदी होती है। यहां से व्यापारी 1700-1800 रुपए में धान खरीदकर दमोह जिले के धान खरीदी केंद्रों पर खफाते हैं और लाखों की कमाई करते हैं।
शिकायतों की नहीं होती सुनवाई..
खरीदी केंद्रों पर चल रही अनियमितताओं के मय सबूत के जिम्मेदार अधिकारियों से लेकर कलेक्टर तक को शिकायत की जाती है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती है। खाद्य अधिकारी राजेश पटेल से जब गांधी वेयर हाउस की गड़बड़ी शिकायत की गई तो उनका बयान काफी हल्का था कि वहां सर्वेयर मौजूद नहीं है जिसे भिजवा रहे हैं। इसका मतलब यह था कि समिति में आने वाली 8 लाख रुपए की रिश्वत का कुछ भाग इनके हिस्से भी पहुंच रहा था।
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