दमोह: मडिय़ादो गांव, जो टाइगर रिजर्व के बफर जोन में आता है, में एक बड़ा पर्यावरणीय अपराध का पर्दाफाश हुआ है। यहां रमना वीट के पास एक खेत में 15 अवैध कोयला भट्टियां मिली हैं। इन भट्टियों में जंगल की लकड़ी को जलाकर हजारों रुपये का कोयला बनाया जा रहा था। यह गोरखधंधा सालों से चल रहा था और वन विभाग समेत अन्य विभागों के अधिकारियों की मिलीभगत से संचालित हो रहा था।

वन्यजीवों के लिए खतरा:
यह क्षेत्र वन्यजीवों से भरपूर है और यहां सघन वन भी हैं। अवैध लकड़ी की कटाई और कोयला निर्माण से न केवल वन का विनाश हो रहा था बल्कि वन्यजीवों के लिए भी गंभीर खतरा पैदा हो गया था। एनजीटी के निर्देशों के मुताबिक, इस क्षेत्र में इस तरह की गतिविधियां पूरी तरह से प्रतिबंधित हैं।
राजस्व विभाग की कार्रवाई:
हटा नायब तहसीलदार की छापेमारी में मौके से लगभग 60 क्विंटल लकड़ी, 30 क्विंटल कोयला और भट्टियां जब्त की गईं। भटटी संचालक फरार हो गए हैं। बताया जाता है कि ये संचालक स्थानीय अधिकारियों को रिश्वत देकर इस अवैध कारोबार को चला रहे थे।

वन विभाग की लापरवाही:
वन परिक्षेत्र अधिकारी का कहना है कि यह क्षेत्र उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है, लेकिन उन्होंने इस मामले में कोई जांच नहीं की। यह स्पष्ट है कि वन विभाग भी इस अवैध कारोबार में शामिल था।
अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग:
इस मामले में स्थानीय लोगों ने मांग की है कि इस अवैध कारोबार में शामिल सभी अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। साथ ही, जंगल को हुए नुकसान की भरपाई के लिए भी कदम उठाए जाएं।
यह मामला पर्यावरण संरक्षण के लिए एक बड़ी चुनौती है।
- दमोह के मडिय़ादो गांव में 15 अवैध कोयला भट्टियां पकड़ी गईं।
- जंगल की लकड़ी को जलाकर हजारों रुपये का कोयला बनाया जा रहा था।
- यह गोरखधंधा सालों से चल रहा था।
- वन विभाग समेत अन्य विभागों के अधिकारियों की मिलीभगत से संचालित हो रहा था।
- एनजीटी के निर्देशों की खुली अवहेलना।
- वन्यजीवों के लिए गंभीर खतरा।
- राजस्व विभाग ने कार्रवाई की।
- वन विभाग की लापरवाही।
- अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग।
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