दमोह: कस्तूरबा गांधी छात्रावास में धर्म विरोधी गतिविधियां, बाल आयोग ने जताई नाराजगी
दमोह, 28 अप्रैल: दमोह जिले के टौरी गांव स्थित कस्तूरबा गांधी छात्रावास में धर्म विरोधी गतिविधियों के संचालन का सनसनीखेज मामला सामने आया है। राज्य बाल आयोग के औचक निरीक्षण में यह चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं, जिससे सरकारी संस्थानों में कार्यरत कर्मचारियों द्वारा इस प्रकार की गतिविधियों को अंजाम दिए जाने पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।

सोमवार को राज्य बाल आयोग की दो सदस्यीय टीम, जिसमें सदस्य ओंकार सिंह एवं डॉ. निवेदिता शर्मा शामिल थे, ने बाल कल्याण समिति दमोह के अध्यक्ष दीपक तिवारी के साथ छात्रावास का निरीक्षण किया। इस दौरान छात्राओं ने आयोग की टीम को बताया कि उन्हें छात्रावास में हिन्दू देवी-देवताओं की पूजा-पाठ करने से रोका जाता है और किसी भी प्रकार की धार्मिक प्रार्थना की अनुमति नहीं दी जाती है।

छात्राओं ने यह भी आरोप लगाया कि यदि कोई छात्रा पूजा करने का प्रयास करती है, तो छात्रावास की वार्डन यशवंती महोबे द्वारा उन्हें डांट-फटकार लगाई जाती है। छात्रावास परिसर में किसी भी प्रकार की प्रार्थना सभा का आयोजन नहीं होता है। सूत्रों के अनुसार, वार्डन खुद को किसी संगठन की महामंत्री बताकर अपने प्रभाव का इस्तेमाल करती हैं, जिसके कारण प्रशासन और शिक्षा विभाग इस मामले में कार्रवाई करने से हिचकिचा रहे हैं।

छात्रावास में अवैध किराना दुकान, एक्सपायरी सामान बरामद
निरीक्षण के दौरान एक और गंभीर अनियमितता सामने आई। छात्रावास परिसर के भीतर ही एक अवैध किराना दुकान संचालित पाई गई, जिसमें बड़ी मात्रा में एक्सपायरी डेट का सामान भी बरामद हुआ। बताया जा रहा है कि इस दुकान का संचालन भी वार्डन द्वारा चौकीदार के माध्यम से कराया जा रहा था। इसके अतिरिक्त, छात्राओं ने शिकायत की कि उन्हें भोजन में पास के सहजन पेड़ के पत्तों की पतली दाल परोसी जाती थी। राज्य बाल आयोग की टीम ने तत्काल प्रभाव से अवैध दुकान में रखी गई सामग्रियों को जब्त कर लिया है।
राष्ट्रध्वज का अनादर, भारत माता की तस्वीर अपमानित
छात्रावास से सटे विद्यालय के निरीक्षण के दौरान राष्ट्रीय ध्वजों को कचरे के ढेर में पड़ा हुआ देखकर आयोग की टीम स्तब्ध रह गई। इतना ही नहीं, वार्डन के कार्यालय में भारत माता की तस्वीर को टेबल के नीचे उलटा रखा गया था, जिसे देखकर आयोग के सदस्यों ने गहरी नाराजगी व्यक्त की।
पूरे घटनाक्रम पर गंभीर आपत्ति जताते हुए राज्य बाल आयोग की टीम ने संबंधित अधिकारियों को तत्काल और सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। इस घटना ने सरकारी संस्थानों में बच्चों की सुरक्षा और उनके अधिकारों के उल्लंघन को लेकर चिंताएं बढ़ा दी हैं। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस गंभीर मामले में क्या कदम उठाता है।
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