अनुपयोगी व खुले नलकूपों/बोरवलों को मजबूत ढक्कनों से बंद किया जाये-जिला मजिस्ट्रेट

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अनुपयोगी एवं खुले नलकूपों/बोरवेलों के सबंध में प्रतिबंधात्मक आदेश जारी

दमोह : 02 जनवरी 2024

            अनुपयोगी एवं खुले नलकूपों/बोरवेलों में छोटे बच्चों के गिरने से रोके जाने के संबंध में अनुपयोगी व खुले नलकूपों/बोरवेलों में छोटे बच्चे गिरने संबंधी तथ्य यदा कदा संज्ञान में आते रहते है। उक्त घटनाओं को दृष्टिगत रखते हुए तथा उच्चतम न्यायालय नई दिल्ली में पारित निर्णय के परिपालन में जिला मजिस्ट्रेट दमोह मयंक अग्रवाल ने दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा-144 के तहत् दमोह जिले की सीमा क्षेत्रान्तर्गत जिन बोरवेल का उपयोग नहीं किया जाता हैं या जिन बोरवेल में मोटर नहीं डाली हैं तथा जिसमें बोर केप नहीं लगा हुआ हैं, उक्त खुले बोरो में बोर केप संबधित मकान मालिक/किसान/संस्था को लगवाये जाने हेतु आदेशित किया हैं।

            जारी आदेश में कहा गया कि अनुपयोगी अथवा खुले पड़े हुए बोरवेल को लोहे के मजबूत ढक्कन /केप से नट बोल्टों की सहायता से मजबूती के साथ बंद किया जाये। संबंधित क्षेत्र के कार्यपालिक मजिस्ट्रेट क्षेत्र का भ्रमण कर उक्त व्यवस्था सुनिश्चित करवाये जाने हेतु उत्तरदायी होंगे।

            चूंकि यह आदेश जन साधारण की सुविधा हेतु तत्काल प्रभावशील किया जाना आवश्यक हो गया है। इसलिए इतना समय उपलब्ध नहीं है कि, जन सामान्य व सभी पक्षों को उक्त सूचना की तामीली की जा सके। अतः यह आदेश दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144(2) के अन्तर्गत एक पक्षीय पारित किया गया हैं। संबंधित थाना प्रभारी इस आदेश की तामीली दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 134 (2) में उल्लेखित रीति अनुसार तथा ऐसे सार्वजनिक स्थलों पर चस्पा कर प्रकाशित करायेंगें, जो आम जनता को इत्तिला पहुंचाने के लिये सर्वाधिक उपर्युक्त है।      

            आदेश से व्यथित व्यक्ति दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144(5) के अन्तर्गत अधोहस्ताक्षरकर्ता के न्यायालय में आवेदन प्रस्तुत कर सकेगा। अत्यन्त विशेष परिस्थितियों में अधोहस्ताक्षरकर्ता संतुष्ट होने पर आवेदक को किसी भी लागू शर्तों में छूट दे सकेगा। यदि कोई व्यक्ति उपर्युक्त आदेश का उल्लंघन करेगा तो उसके विरूद्ध भारतीय दण्ड संहिता के प्रावधानों के तहत् अभियोजन की कार्यवाही की जायेगी।

            यह आदेश 29 फरवरी 2024 तक प्रभावशील रहेगा तथा उक्त प्रभावशील अवधि में उक्त आदेश का उल्लंघन धारा 188 भारतीय दण्ड विधान अन्तर्गत दण्डनीय अपराध की श्रेणी में आयेगा।

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