दमोह जिला अध्यक्ष पद के लिए मचा घमासान..

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वर्तमान जिलाध्यक्ष सहित अन्य भाजपा नेता शामिल

जातिगत समीकरण भी बैठ सकता है फिट

ब्राह्मण समाज से भी हो सकता है भाजपा जिला अध्यक्ष

दमोह- भारतीय जनता पार्टी के संगठनात्मक चुनाव आरंभ होने वाले हैं, पहले मंडल स्तर के चुनाव होंगे, इसके बाद जिलाध्यक्ष के चुनाव के बाद प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव होगा। भाजपा संगठन चुनाव की प्रक्रिया प्रारंभ हो चुकी है। दमोह जिला में पहली बार भाजपा से सामने आ रहा है कि भाजपा जिलाध्यक्ष की कुर्सी पाने के लिए 60 से अधिक दावेदार सामने आ रहे हैं। जिनमें वर्तमान जिलाध्यक्ष पुन: पदासीन होने के लिए प्रत्यनशील हैं।

दागी और बागी रेस से बाहर

इस बार भाजपा जिलाध्यक्ष की कुर्सी पर भाजपा का निष्ठावान कार्यकर्ता ही बैठेगा, जो विपरीत परिस्थितियों में पार्टी की रीति-नीति से बंधा रहा हो, उसे ही मौका दिया जाएगा। जिन पर पार्टी से बगावत करने के आरोप लगे, दागी रहे और बागी हुए, जिन्होंने विधानसभा उपचुनाव, मुख्य विधानसभा चुनाव व लोकसभा चुनाव में पार्टी प्रत्याशी के पक्ष में काम नहीं किया, ऐसे कार्यकर्ता पहले ही चरण में भाजपा जिलाध्यक्ष की रेस से बाहर हो जाएंगे। हालांकि 60 दावेदारों की सूची में ऐसे दागी और बागी भी शामिल हैं, जो भाजपा जिलाध्यक्ष बनने के लिए आतुर दिखाई दे रहे हैं।

उम्र बंधन की सीमा रेखा

भाजपा जिलाध्यक्ष बनने के लिए 45 साल से लेकर 60 साल के बीच आयु सीमा रेखा निर्धारित है। लेकिन इससे कम उम्र के दावेदार भी जिलाध्यक्ष की कुर्सी पाने उच्च संगठन सोर्सों की दम पर मैराथन दौड़ में शामिल है, हालांकि यह नियम विपरीत है, लेकिन उम्र को दरकिनार रखते हुए भाजपा जिला संगठन में कम उम्र के दावेदार को उपाध्यक्ष बनाया गया था। इसी बिंदु को पकडक़र कम उम्र के युवा नेता भी जिलाध्यक्ष पद पाने के लिए प्रयासरत हो गए हैं।

जातिय समीकरण की गोटी

दमोह की राजनीति में जातिय समीकरण अब वजनदारी रखने लगे हैं। दमोह लोकसभा में लोधी वर्ग से सांसद बनते आ रहे हैं। इस वर्ग का एक विधायक भी हैं। वहीं कुर्मी वर्ग से भी एक विधायक बने हैं। लोधी व कुर्मी विधायक को मंत्री पद से भी नवाजा जा चुका है। अब जातिय समीकरण के हिसाब से देखा जाए तो पिछड़े वर्ग में ही कई ऐसी जातियां समाहित हैं, जिनका समाज में अच्छा प्रतिनिधित्व है।

ब्राह्मण समाज से भी हो सकता है भाजपा जिला अध्यक्ष

इन सबके बाद ब्राह्मण वर्ग आता है, जो चारों विधानसभा में अपनी अच्छी खासी उपस्थिति रखता है। इस जाति के ऐसे भी कार्यकर्ता हैं, जिन्होंने पार्टी की रीति नीति पर चले हैं, भले ही विपरीत परिस्थितियां रही हैं, जिनमें से एक नोहटा थाना क्षेत्र से आते हैं तो दूसरे गैसाबाद थाना क्षेत्र में निवासरत हैं, जिन्हें ब्राह्मण समाज से प्रबल दावेदार माना जा सकता है।

संघ से भी भेज सकते हैं1

हालांकि सीधे संघ से अब तक दमोह में कोई भी जिलाध्यक्ष नहीं बना है, लेकिन इस बार संघ से भी किसी स्वयंसेवक को जिलाध्यक्ष की कुर्सी के लिए भेजा जा सकता है। जिसमें युवा चेहरा भी हो सकता है। जिसकी एक आवाज पर हजारों युवा खड़े हो सके, ऐसा स्वयं सेवक भी इस बार भाजपा जिलाध्यक्ष की कुर्सी पर आसीन हो सकता है।

वर्तमान जिलाध्यक्ष फिर प्रयासरत

वर्तमान भाजपा जिलाध्यक्ष फिर प्रयासरत हैं, वह इसलिए कि उन्हें प्रदेश अध्यक्ष व्हीडी शर्मा ने जिलाध्यक्ष बनाया था, उन्हें फिर से ही अध्यक्ष बनाना है, जिससे वर्तमान जिलाध्यक्ष आखिरी दांव खेलना चाहते है। क्योंकि उन्हें व्हीडी शर्मा का ही खास माना जाता है। हालांकि इनके कार्यकाल के दौरान इन पर संगठनात्मक आरोप-प्रत्यारोप भी लगे हैं। जिन्हें राजनीति का एक हिस्सा माना जाता है, क्योंकि कुर्सी की दौड़ में अपने ही साथ वाले शामिल रहते हैं और कुछ नकारात्मक बातें चलाई जाती हैं, जिनसे कुर्सीधारी को कुछ नफा-नुकसान हो सकता है।

पॉवर फुल पद

भाजपा लगातार सत्ता में है, भाजपा जिलाध्यक्ष का पद पॉवर फुल इसलिए है कि वह सरकार, सत्ता, शासन और प्रशासन के बीच समन्वयक के रूप में अपनी भूमिका का निर्वहन करता है। भाजपा जिलाध्यक्ष का पॉवर होने से इस पद को पाने के लिए इस बार 60 दावेदार सामने आ रहे हैं, जो मैराथन दौड़ में शामिल हैं।

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