रवि सिक्यूरिटी को सरकारी दामाद की तरह झेल रही जिला.. अस्पताल कलेक्टर ने सीएमएचओ, सीएस व अमला को सुनाई खरी-खरी..

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रवि सिक्यूरिटी को सरकारी दामाद की तरह झेल रही जिला अस्पताल
कलेक्टर ने सीएमएचओ, सीएस व अमला को सुनाई खरी-खरी..

दमोह- जिला अस्पताल में पदस्थ कर्मियों का वेतन रुकने व ईपीएफ जमा न होने पर कलेक्टर ने बुधवार को जिला अस्पताल प्रबंधन के साथ बैठक की। इस बैठक में कलेक्टर सीएमएचओ, सिविल सर्जन, व्यवस्थापक, लेखापालों को सख्त हिदायद दी है कि कर्मियों का वेतन व भविष्य निधि तत्काल उपलब्ध कराई जाए।

रवि सिक्यूरिटी 2021 से जिला अस्पताल में कर्मियों की सेवाएं दे रही है। इस कंपनी द्वारा पिछले पांच साल से कर्मचारियों की भविष्य निधि जमा नहीं की है। करीब 80 लाख रुपए का इसके द्वारा घोटाला किया गया है। इस कंपनी के कर्मियों ने मंगलवार को हंगामा करते हुए कलेक्टर के समक्ष शिकायत दर्ज कराई थी। कलेक्टर ने बुधवार को सीएमएचओ, सिविल सर्जन, आरएमओ, व्यस्थापक, लेखापालों की एक बैठक ली। जिसमें कलेक्टर ने अस्पताल प्रबंधन को इस मामले में खरी-खोटी सुनाई। साथ ही कड़े शब्दों में आदेशित किया है कि कर्मियों का वेतन व भविष्य निधि तत्काल जमा कराई जाए। अस्पताल प्रबंधन ने कलेक्टर को बताया कि रवि सिक्यूरिटी को अंतिम नोटिस दिया है। इस पर कलेक्टर ने कहा है कि नोटिस से कुछ नहीं होता है अब कार्रवाई की जाए।

बड़े घोटाले में लेखापालों की मिली भगत

रवि सिक्यूरिटी के मामले में यह सामने आया है कि यह कंपनी पिछले पांच सालों से कर्मचारियों का भविष्य निधि डकार रही है। इस संदर्भ में पूर्व में कर्मचारियों ने शिकायतें दर्ज कराई, लेकिन अस्पताल में पदस्थ लेखापाल उमेश बागरी व भूप सिंह द्वारा रवि सिक्यूरिटी को सरकारी दामाद की तरह ट्रीट किया गया, जिससे इन दोनों लिपिकों द्वारा कभी भी नोटिस तक नहीं दिलवाया गया और न ही इस संदर्भ में आला अधिकारियों को इस मामले अवगत कराया। इन दोनों लिपिकों की ढीलाशाही के कारण ही रवि सिक्यूरिटी ने 80 लाख से अधिक की भविष्य निधि राशि का गोलमाल कर दिया है।

जमा सिक्यूरिटी राशि नहीं की जब्त

रवि सिक्यूरिटी पर कड़ी कार्रवाई नहीं की जा रही है, अस्पताल प्रबंधन द्वारा यह बात भी दबाई जा रही है कि इस कंपनी द्वारा कितनी सिक्यूरिटी राशि जमा कराई गई थी। जबकि सर्विस प्रोवाइडर कंपनियों को जब टेंडर दिया जाता है तो उसमें यह उल्लेख रहता है कि 6 माह तक के वेतन और भविष्य निधि की व्यवस्था कंपनी को ही करनी पड़ेगी। लेकिन यहां पर कंपनी द्वारा टेंडर अधिनियम का खुली अवहेलना की गई, जिस पर आज तक कार्रवाई नहीं की गई है।

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