एकलव्य विश्वविद्यालय में भारतीय ज्ञान परंपरा पर राष्ट्रीय संगोष्ठी..

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एकलव्य विश्वविद्यालय में भारतीय ज्ञान परंपरा पर राष्ट्रीय संगोष्ठी

विकसित भारत के लिए ऋषि परंपरा आवश्यक : कुलगुरू प्रो. पवन कुमार जैन

दमोह – एकलव्य विश्वविद्यालय दमोह, के शिक्षा एवं पुस्तकालय विज्ञान संकाय एवं एनईपी सारथी के संयुक्त तत्वावधान में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में भारतीय ज्ञान परंपरा का समावेश विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। यह संगोष्ठी एकलव्य विश्वविद्यालय दमोह की कुलाधिपति डॉ. सुधा मलैया, प्रति कुलाधिपति श्रीमती पूजा मलैया एवं श्रीमती रति मलैया के कुशल नेतृत्व एवं कुलगुरू प्रोफेसर डॉ.पवन कुमार जैन, कुलसचिव डॉ. प्रफुल्ल शर्मा के मार्गदर्शन में किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ कुलगुरू प्रोफ़ेसर डॉ. पवन कुमार जैन, कुलसचिव डॉ. प्रफुल्ल शर्मा एवं मुख्य परीक्षा नियंत्रक डॉ. प्रकाश खम्परिया, छात्र कल्याण अधिष्ठाता डॉ. शैलेन्द्र जैन, अधिष्ठाता डॉ. आर सी जैन, संगोष्ठी संयोजिका एवं संचालिका डॉ. सुदेश बाला जैन की गरिमामयी उपस्थिति में

वाणी की अधिष्ठात्री देवी माँ सरस्वती के चरणों में दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। इसके पश्चात संगोष्ठी में पधारे विषय विशेषज्ञों का स्वागत पौधा देकर किया गया। कार्यक्रम की संयोजिका डॉ. सुदेश बाला जैन द्वारा स्वागत उद्बोधन दिया गया साथ ही संगोष्ठी की विस्तृत रूपरेखा पटल पर रखी गयी। कुलगुरू प्रोफेसर डॉ. पवन कुमार जैन ने संबोधित करते हुए प्राचीन शिक्षा पद्धति को बताते हुए वर्तमान में उसकी उपयोगिता को रेखांकित किया। कुलसचिव डॉ. प्रफुल्ल शर्मा ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए नई शिक्षा नीति के तहत भारतीय ज्ञान परंपरा को व्यावहारिक जीवन में उतारने की बात कही। इसके साथ ही विषय से संबंधित शोध पत्रों का वाचन किया गया। इसमें डॉ. सृष्टि चौहान, डॉ. स्वाति गौर, डॉ. प्रदीप निबोरिया, श्री अरंजय वर्धन, सुश्री यामिनी गेडाम, अभिनंदन जैन, भावना विश्वकर्मा ने अलग-अलग विषयों पर शोध पत्र का वाचन किया। इस संगोष्ठी में सत्र अध्यक्षता कला एवं मानविकी संकाय अधिष्ठाता डॉ. आर सी जैन ने किया। संगोष्ठी का संचालन डॉ.सुदेश बाला जैन एवं आभार प्रदर्शन शारीरिक शिक्षा विभागाध्यक्ष डॉ. रमाकांत त्रिपाठी द्वारा किया गया। इस अवसर पर शिक्षा विभाग से डॉ. शोभा उपाध्याय, श्री महेश सोनी, श्री जमना प्रसाद, श्री अभिषेक राय, पी एल श्रीवास्तव, श्रीमती प्रतीक्षा गेडाम के साथ ही विश्वविद्यालय के संकाय प्रमुख, विभागाध्यक्ष, प्राध्यापक, शोधार्थियों-विद्यार्थियों की उपस्थिति रही।

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