संसद में वक्फ संशोधन बिल ‘उम्मीद’ पेश, 10 घंटे चर्चा..

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संसद में वक्फ संशोधन बिल ‘उम्मीद’ पेश, 10 घंटे चर्चा
नई दिल्ली: बुधवार दोपहर लोकसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 पेश किया गया, जिस पर 10 घंटे तक चर्चा हुई। केंद्रीय अल्पसंख्यक और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने विधेयक पेश करते हुए इसका नया नाम ‘यूनिफाइड वक्फ मैनेजमेंट एम्पॉवरमेंट, इफिशिएंसी एंड डेवलपमेंट (उम्मीद)’ बताया।
अपने एक घंटे के संबोधन में रिजिजू ने पिछली कांग्रेस सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि यूपीए सरकार ने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले 5 मार्च 2014 को दिल्ली वक्फ बोर्ड को 125 प्राइम प्रॉपर्टी ट्रांसफर कर दी थीं, जो अल्पसंख्यक वोटों के लिए किया गया था, लेकिन वे चुनाव हार गए। उन्होंने कहा कि अगर यह संशोधन बिल नहीं लाया जाता, तो जिस संसद भवन में हम बैठे हैं, उस पर भी वक्फ संपत्ति होने का दावा किया जा सकता था। रिजिजू ने दावा किया कि लोग वक्फ के खौफ से आजादी चाहते हैं।
वहीं, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने तीखे कटाक्ष और आंकड़ों के साथ अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि इस बिल से पारदर्शी ऑडिट होगा और वक्फ के आदेश को अदालत में चुनौती दी जा सकेगी, जबकि पहले वक्फ का फैसला ही अंतिम होता था। शाह ने इस धारणा को गलत बताया कि यह अधिनियम मुसलमानों के धार्मिक आचरण या उनकी दान की गई संपत्ति में हस्तक्षेप करेगा। उन्होंने कहा कि यह डर अल्पसंख्यकों में वोट बैंक के लिए पैदा किया जा रहा है और मुस्लिम भाइयों को आश्वस्त किया कि वक्फ में एक भी गैर-मुस्लिम नहीं होगा। शाह ने यह भी स्पष्ट किया कि कानून पिछली तारीख से लागू नहीं होगा और विपक्ष मुस्लिमों को गुमराह कर रहा है। उन्होंने कहा कि 2013 में इसी तरह का संशोधन सिर्फ 5 घंटे में हुआ था, जबकि इस बार दोनों सदनों में 16 घंटे चर्चा हो रही है।
हालांकि, विपक्षी दलों ने इस बिल का कड़ा विरोध किया है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने चेतावनी दी है कि अगर यह बिल पास हो जाता है, तो वे इसके खिलाफ देशव्यापी आंदोलन शुरू करेंगे। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि मोदी सरकार की ‘हेराफेरी की भूख’ की कोई सीमा नहीं है और इस बिल का इस्तेमाल वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 को सम्मानजनक बनाने के लिए किया जा रहा है, जो भारत के संविधान पर हमला है। कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई ने आरोप लगाया कि सरकार की नजर एक विशेष समाज की जमीन पर है और कल दूसरे अल्पसंख्यकों की जमीन पर भी जा सकती है।
जदयू सांसद और मंत्री ललन सिंह ने इस नैरेटिव को खारिज करने की कोशिश की कि यह बिल मुस्लिम विरोधी है। उन्होंने कहा कि वक्फ धार्मिक संस्था नहीं, बल्कि एक ट्रस्ट है जिसे हर वर्ग से न्याय करना चाहिए, जो कि अभी नहीं हो रहा है।
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने तंज कसते हुए कहा कि सबसे बड़ी पार्टी होने का दावा करने वाली भाजपा अभी तक अपना अध्यक्ष नहीं चुन पाई है। उन्होंने प्रधानमंत्री की हालिया नागपुर यात्रा पर भी सवाल उठाया।
वक्फ और प्रस्तावित संशोधन से जुड़े मुख्य बिंदु:

  • नया नाम: विधेयक का नया नाम यूनिफाइड वक्फ मैनेजमेंट एम्पॉवरमेंट, इफिशिएंसी एंड डेवलपमेंट (उम्मीद) होगा।
  • पारदर्शिता और जवाबदेही: बिल में पारदर्शी ऑडिट का प्रावधान है और वक्फ के आदेश को अदालत में चुनौती दी जा सकेगी।
  • गैर-मुस्लिम प्रतिनिधित्व नहीं: केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि वक्फ बोर्ड में कोई गैर-मुस्लिम नहीं होगा।
  • पिछली तारीख से लागू नहीं: कानून रेट्रोस्पेक्टिव रूप से लागू नहीं होगा।
  • विपक्ष का आरोप: विपक्ष का आरोप है कि यह बिल अल्पसंख्यकों की संपत्तियों को छीनने की साजिश है।
  • मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का विरोध: बोर्ड ने बिल पास होने पर देशव्यापी आंदोलन की चेतावनी दी है।
  • वक्फ की संपत्ति: देश में वक्फ बोर्ड के पास 9.4 लाख एकड़ भूमि है और लगभग 8.7 हजार संपत्तियां हैं, जिनकी कीमत 1 लाख 20 हजार करोड़ रुपये है। वक्फ देश में सेना और रेलवे के बाद तीसरा सबसे बड़ा भू-स्वामी है।
  • वक्फ का अर्थ: वक्फ का अर्थ है अल्लाह को स्थायी समर्पण। धार्मिक कार्य के लिए अर्पित संपत्ति न वापस ली जा सकती है और न बेची जा सकती है। इसकी देखरेख मुतवल्ली करता है।
  • गौरव गोगोई का बयान: उन्होंने कहा कि सरकार की नजर एक विशेष समाज की जमीन पर है और भविष्य में दूसरे अल्पसंख्यकों की जमीन पर भी जा सकती है।
  • अखिलेश यादव का बयान: उन्होंने कहा कि वक्फ बिल में न नीति सही है और न नीयत, यह करोड़ों लोगों से घर-दुकान छीनने की साजिश है।
    संसद में इस बिल पर आगे भी चर्चा जारी रहने की संभावना है और देखना होगा कि यह कानून का रूप लेता है या नहीं।

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