दमोह में CMO पर स्याही: क्या यह सिस्टम पर कालिख है?

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दमोह में CMO पर स्याही: क्या यह सिस्टम पर कालिख है?
दमोह: दमोह नगर पालिका के मुख्य नगर पालिका अधिकारी (CMO) प्रदीप शर्मा के चेहरे पर स्याही पोतने की घटना ने पूरे प्रदेश में सनसनी फैला दी है। इस घटना को अंजाम देने वाले दो युवकों, विवेक अग्रवाल और अनुराग यादव, पर आरोप है कि उन्होंने धार्मिक ध्वज हटाने के आदेश के चलते CMO के साथ यह बदसलूकी की। हालांकि, CMO प्रदीप शर्मा ने इस आरोप का पुरजोर खंडन किया है।
शनिवार को घटी इस घटना के बाद से ही शहर में तनाव का माहौल है। आरोप है कि चैत्र नवरात्रि की तैयारियों के बीच घंटाघर पर लगे ध्वज को हटाने को लेकर कुछ भाजपा समर्थित हिंदू संगठन और बीजेपी कार्यकर्ताओं ने नारेबाजी की थी। इसके बाद ही विवेक अग्रवाल और अनुराग यादव CMO के घर पहुंचे, उन्हें धोखे से बाहर बुलाया और उन पर काली स्याही फेंक दी। इस पूरी घटना का वीडियो भी बनाया गया और सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया गया, जिससे यह स्पष्ट होता है कि यह कृत्य सुनियोजित था।
हालांकि, इस घटना के पीछे की असली वजह कुछ और ही बताई जा रही है। CMO प्रदीप शर्मा के अनुसार, उनके द्वारा नगर पालिका में व्याप्त भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के खिलाफ कार्रवाई करने से कुछ लोग नाराज थे। उन्होंने बताया कि विवेक अग्रवाल एक निर्माण एजेंसी के साथ मिलकर विवेकानंद कॉलोनी में घटिया नाला निर्माण में शामिल था, जिसकी जांच चल रही है और भुगतान रोका गया है। अग्रवाल इसी भुगतान को कराने के लिए CMO पर दबाव बना रहा था और पहले भी धमका चुका था।
CMO ने आउटसोर्स कर्मचारियों को हटाने, डीजल चोरी पकड़ने और वाहन चोरी में गलत भुगतान के मामलों को उजागर करने को भी इस घटना का कारण बताया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि घटना के दिन उन्होंने किसी को भी झंडा हटाने के लिए नहीं भेजा था, बल्कि कर्मचारियों को केवल बात करने के लिए भेजा था, जिसे गलत तरीके से पेश किया गया।
इस पूरे घटनाक्रम पर शहर के जनप्रतिनिधियों और बुद्धिजीवियों की चुप्पी भी सवालों के घेरे में है। सांसद, दोनों मंत्री, दोनों विधायक और कांग्रेस-भाजपा जिलाध्यक्षों सहित किसी ने भी इस घटना की निंदा नहीं की है। यह भी आश्चर्यजनक है कि इस मामले से जुड़े वीडियो प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव तक पहुंचने के बावजूद उनकी कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।
सवाल यह उठता है कि क्या CMO पर स्याही फेंकने की यह घटना सिर्फ एक धार्मिक ध्वज हटाने के आरोप तक ही सीमित है, या फिर यह उस सिस्टम पर कालिख पोतने की कोशिश है जो भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठा रहा है? CMO द्वारा नगर पालिका में अनियमितताओं के खिलाफ शुरू की गई कार्रवाई से बौखलाए तत्वों द्वारा इस तरह की हरकत को अंजाम देना कहीं न कहीं सिस्टम पर दबाव बनाने और अपनी मनमानी चलाने का प्रयास है।
फिलहाल, कलेक्टर के निर्देश पर एडीएम की अध्यक्षता में इस मामले की जांच चल रही है। CMO प्रदीप शर्मा ने भी खुलकर अपनी बात रखी है और आरोपियों से अपनी पुरानी रंजिश का खुलासा किया है। अब देखना यह है कि इस पूरे मामले में जांच किस दिशा में आगे बढ़ती है और क्या यह घटना सिस्टम में व्याप्त उन काली भेड़ों पर कार्रवाई का संदेश देती है जो अपने निजी स्वार्थों के लिए अधिकारियों पर दबाव बनाते हैं? यह घटना निश्चित रूप से सोचने पर मजबूर करती है कि क्या वाकई में ‘स्याही’ सिर्फ एक अफसर के चेहरे पर पोती गई, या यह कहीं न कहीं हमारे सिस्टम के ऊपर भी एक दाग है।

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