भगवान विष्णु ने लिया कृष्ण अवतार – पं संजय शास्त्री श्री कृष्ण जन्मउत्सव पर जम कर नाचे श्रोता

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दमोह । हिरदेपुर सागर नाका चौकी के समीप पटेल परिवार में चल रही संगीतमय कथा में पं संजय शास्त्री भगवताचार्य ने आज श्रीमद् भागवत कथा के चतुर्थ दिवस मे भगवान श्रीकृष्ण के जन्मउत्सव की कथा का प्रसग सुनाया । कथा वाचक महाराज ने कहा कि भगवान श्री कृष्ण का अवतारद्वापरयुग के अन्त मे हुआ था। जब धरती पर अधर्म का बोझ बढ़ता जा रहा था। राक्षसों ने धरती पर हाहाकार मचा रखा था। इस बात से बहुत परेशान हो कर धरती मां गाय का रूप धारण करके देवताओं के पास गई और उनसे कहा हे देवतागण मेरी रक्षा करें इस समय राक्षसों का आतंक मुझ पर बढ़ता जा रहा है इन्हें खत्म करें धरती मां की इस बात का देवताओं के पास कोई समाधान नहीं था। इस पर उन्होंने ब्रह्मा जी के पास जाने का निर्णय लिया और धरती मां के साथ सभी देवता ब्रह्मा जी के पास गए।
वहां पहुंचकर उन्होंने ब्रह्मा जी से विनती की प्रभु, मेरे ऊपर से दैत्यों का यह भार कम करें मैं बहुत परेशान हो गई हूं ब्रह्मा जी ने उनकी तरह देखा और कहा इसका उपचार सिर्फ भगवान विष्णु कर सकते हैं देवीआप उन्ही के पास जाइए ब्रह्मा जी का कहा मानकर उनके साथ धरती मां और सभी देवतागण, भगवान विष्णु के निवास क्षीर सागर पहुंचे। उस समय वह शेष नाग पर लेटे हुए आराम कर रहे थे। वहां पहुंचकर सभी ने उन्हें प्रणाम किया ओर प्रार्थना की जिसे सुनकर भगवान विष्णु ने कहा हे देवी परेशान न हो। मैं मनुष्य के रूप में पृथ्वी लोक पर अवतार लूंगा और पाप को खत्म करूंगा। जिस पर देवकी का विवाह वसुदेव जी के साथ हुआ और जब कंस देवकी को विदा करने लगा,तभीआकाशवाणी हुई कि देवकी की 8वीं संतान उसका वध करेगी। इतना सुनते ही कंस के पैरों तले से जमीन खिसक गई और उसने देवकी और वसुदेव को जेल में डाल दिया।इसके बाद वह सोचने लगा कि देवकी की 8 संतानों में से कौन से नंबर का पुत्र मेरा वध करेगा इस असमंजस के कारण उसने देवकी की सभी संतानों को मारने का निर्णय लिया। इसके बाद भाद्र पद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में देवकी की आठवीं संतान ने जन्म लिया। उसके जन्म लेते ही सारे सैनिक अपने आप सो गए। देवकी और वसुदेव की हथकड़ियां खुल गई और जेल के दरवाजे भीअपने आप खुल गए। उन दोनों को कुछ समझ नहीं आ रहा था भगवान की इच्छानुसार इस पुत्र को गोकुल में नंदबाबा के यहां छोड़ आओ।उन्होंने ठीक वैसा ही किया। उन्होंने टोकरी में श्री कृष्ण को लेटाया और यमुना नदी के पार गोकुल में छोड़कर आ गए और वहां पालने में सोई बेटी को अपने साथ जेल में ले आए। वासुदेव के वापस आने के बाद सब कुछ पहले जैसा हो गया। हथकड़ियां और जेल के दरवाजे वापस लग गए और पहरेदार होश में आ गए।होश में आते ही सैनिकों ने देवकी की आठवीं संतान की खबर जाकर कंस को दे दी। कंस दौड़ता हुआ जेल आया और देवकी की गोद से उसकी संतान को छीन लिया। इसके बाद जैसे ही कंस ने उसे मारने के लिए हाथ से उठाया, वह उसके हाथ से छूटकर आकाश मे चली गई। पटेल परिवार के सुनील पटेल ने सभी नगर वासियों से कथा श्रवण करने का आग्रह किया है।

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