कथा में तो कई लोग बैठते हैं परंतु कथा जब लाभदायक होगी जब हम कथा में नहीं कथा हमारे अंदर बैठेगी
दमोह। महिला मंडल सुरेखा कालोनी दमोह में श्रीमद्भागवत कथा ब्यास किशोरी वैष्णवी गर्ग ने कथा के समापन दिवस पर श्रीकृष्ण के जीवन चरित्र की सभी महत्वपूर्ण गाथाओं का वर्णन किया. किशोरी जी ने कहा कि हमें अपने जीवन का प्रत्येक पल ईश्वर भक्ति में व्यतीत करना चाहिए. हमें हर सांस में ईश्वर का नाम लेना चाहिए. एक भी सांस व्यर्थ नहीं जाना चाहिए।भक्त सुदामा ने श्री कृष्ण के बालपन में अपनी आयु व्यतीत की सौभाग्य से उनके सहपाठी बनें। समय के परिवर्तन में सुदामा ने अपने परिवार को गरीबी में पाला और श्री कृष्ण द्वारकाधीश बने। पत्नी के बार- बार कहने पर अपने मित्र श्री कृष्ण जी को मिलने गये। सुदामा इतने निर्धन थे कि उन्होंने पत्नी द्वारा लोगों से मांग कर लाए गए दो मुट्ठी चावल द्वारकाधीश को भेंट करने के लिए साथ ले चले। *भक्तों से भी सुदामा जैसी मित्रता निभाते हैं भगवान* किशोरी जी बताया कि सुदामा पूछते हुए राजमहल गए और किसी ने श्री कृष्ण का मित्र होने का विश्वास नहीं किया। एक द्वारपाल ने द्वारकाधीश को सूचित किया। इतना सुनते ही श्री कृष्ण मित्र सुदामा-सुदामा कहते हुए दौड़ पड़े। श्रीकृष्ण अपने रथ पर बिठाकर सुदामा को राज भवन लाए और उनका मान सम्मान किया। उन्होंने कहा कि सच्चा मित्र वहीं है जो अपने मित्र को निस्वार्थ भाव से प्यार करे और विपत्ति आने पर उनकी सहायता करे। *मुख्य श्रोता* श्रीमती अर्चना डॉक्टर तरुण श्रीवास्तव, श्रीमती प्रीति विकास पांडे ,श्रीमती अनिता राय, श्रीमती रमा खरे, श्रीमती मिथिलेश खरे, श्री राय दादा ,देवेश राजपूतकथा व्यास किशोरी वैष्णवी गर्ग जी की आगामी कथा -29 नवंबर से 7 दिसंबर तक श्रीमद् भागवत कथा मगांज वार्ड 5 दमोह में कथा यजमान कृष्णा तिवारी ने आप सभी श्रीराम कथा श्रवण करने जरूर पधारे ।!
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