दमोह। संस्कार भवन असाटी समाज दमोह द्वारा श्रीमद्भागवत कथा के पंचम दिवस कथा व्यास श्री हरे कृष्ण दास ब्रह्मचारी जी महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण के अवतार लेने का मुख्य कारण, अपने भक्तों को आनन्द प्रदान करना बताया. असाटी समाज दमोह कथा संयोजक शैलेंद्र (शैलू भैया) और सहसंयोजक महेश असाटी शिक्षक ने बताया कि श्रीमति मनोरमा पीतांबर असाटी (पूर्व प्राचार्य), श्रीमति वन्दना मोतीलाल असाटी (रिटा. शिक्षक), श्रीमति गीता (गेंदा) कुंजबिहारी असाटी, श्रीमति सरला सेवाराम असाटी, श्रीमति मोमबाई-स्व. सुखदेव असाटी, श्रीमति सरोज-स्व. प्रेमनारायण असाटी, श्रीमति निर्मला-स्व. रामनारायण असाटी (खुरई), श्रीमति उर्मिला-स्व. राजेश असाटी (मढ़िया वाले) खुरई, श्रीमति कौशल्या-धनीराम असाटी, श्रीमति शोभारानी महंतराम असाटी, श्रीमती आशा स्वर्गीय कमलेश असाटी जबलपुर श्रीमद् भागवत कथा के मुख्य श्रोता है. असुरों का वध करना गौण कारण है. आपने कहा कि जो श्रीकृष्ण को भगवान् नहीं मानते, उन्हें गम्भीरता से श्रीकृष्ण की अपौरुषेय लीलाओं (कार्यों) की विचार करने के बाद ही उनकी अमानवीय लीलाओं पर टीका-टिप्पणी करना चाहिये.

छः दिन की आयु में पूतना जैसी राक्षसी का उद्धार भयंकर अजगर रूपी अघासुर के उदर में प्रवेश किये हुए समस्त ग्वाल वालों की रक्षा, महाविषधर कालिया नाग को अपने वश में कर यमुना से हटाकर उसके जल को निर्मल बनाना, दावानल का स्वयं पान करना, सात वर्ष की आयु में सात कोस लम्बे गोवर्धन पर्वत को सात दिन तक अपने बायें हाथ की कनिष्ठा अंगुली पर लगातार दिन-रात धारण कर ब्रजवासियों की इन्द्र के प्रकोप से रक्षा करना, सौ करोड़ गोपियों के साथ उतने ही रूपों में अपने की विस्तार कर रास लीला करना, ये सब कार्य क्या कोई मनुष्य या देवी-देवता या कोई अन्य अवतार कर सकता है. माखन की चोरी, गोपियों के चीर छण एवं रास लीला के दिव्य, चिन्मय प्रसंगों को असंगत बताकर अपराध के भागी बनते हैं. आपने कहा कि अति अरूप ज्ञान, बल, पौरुष, रूप, ऐश्वर्य वाले श्रीकृष्ण की नकल कर अवैधानिक एवं अनैतिक कार्य करेंगे तो मरेंगे. इस लोक में निन्दा के पात्र एवं परलोक में नकर गायी होंगे, अतः अपने स्वरूप को सन्त-भक्त-गुरुदेव के उपदेश से समझ कर अविलंब कुलर्क त्याग कर श्रीकृष्ण भजन में अपने आप को नियोजित कर आत्म कल्याण करें. सूर्य को न मानकर उनके ऊपर थूकने से वह थूक आपके मुख पर गिरेगा।
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