हिन्दी लेखिका संघ दमोह ने वसंतोत्सव मनाया…

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दमोह।
 वसंत पंचमी की पूर्व संध्या पर संस्था संरक्षक मन्दाकिनी बेन पटेल के निवास पर डॉ किरण गोस्वामी के मुख्यातिथ्य, संस्था अध्यक्ष पुष्पा चिले की अध्यक्षता में हिन्दी लेखिका संघ दमोह की वसंत पर काव्य गोष्ठी सम्पन्न हुई। मां शारदे का पूजन एवं दीप प्रज्ज्वलित कर मन्दाकिनी बेन के पति स्व सेठ गुणवन्त भाई पटेल की प्रथम पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किये। सरस्वती वंदना पुष्पा चिले ने प्रस्तुत की। कार्यक्रम का संचालन डॉ प्रेमलता नीलम ने किया। मुख्य अतिथि डॉ किरण गोस्वामी ने प्रसिद्ध कवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला के कई रोचक संस्मरण सुनाते हुए उन्हीं लिखित रचना का पाठ किया मैं अकेला मैं अकेला देखता हूं आ रही है मेरे दिवस की सांध्य बेला। पुष्पा चिले ने पढ़ा मन मयूर तब नाचता, खुशियां हों भरपूर।दिग दिगंत में फैलता, तभी वसंत का नूर। डॉ प्रेमलता नीलम ने पढ़ा झूमत आई वसंत वयार, फ़ूल फूल पर झूमी तितली, डार डार ने किया श्रंगार। डॉ रेवा चौधरी ने पढ़ा जीवन का चलते रहना, औरों के लिए जीना ही वसंत है। आराधना राय ने कहा मुक्त छंद के प्रवर्तक थे निराला। विनीता जडिया ने पढ़ा मां सरस्वती मेरी वाणी में रस घोल दो। उमा नामदेव ने पढ़ा देवी कृपा करो देकर वरदान। लता गुरु ने पढ़ा स्वागत करो ऋतुराज का, त्यौहार हर्ष उत्साह का। सीमा जैन ने पढ़ा खिला कली सा प्रफुल्लित है मन, दुल्हन सा लागे वसंत। कमलेश शुक्ला ने कहा अपने ही भीतर बना वसंत,तब उमंगों का होगा कभी न अंत। संगीता पांडे ने कहा आ गई वासंती बहार, कोयल बैठी अमुआ डार। वसुन्धरा तिवारी ने कहा सखि री देखो वसंत आया है, मेरे आंगन में छाया है। शिवकुमारी शिवहरे ने पढ़ा सरसों फूली बाग में, मीठे कोयल बोले। प्रेमलता उपाध्याय ने पढ़ा मखमली काली पाग बांधके, सिंदूरी रंग टेसु खिला। पद्मा तिवारी ने कहा करो स्वागत ऋतुराज का मौसम के सरताज का।मनोरमा रतले ने पढ़ा धरा सज गई दुल्हनिया सी, वारने को मन करता है। मन्दाकिनी बेन ने पढ़ा मेरे जीवन के वसंत तुम कहां गये। गिरजा साहू ने पढ़ा मौसम में उल्लास लाया है वसंत। अर्चना राय, अंजना तिवारी, भावना पटेल, ज्योत्स्ना पटेल, भावना बेन आदि बहनों की बड़ी संख्या में उपस्थिति रही। मनोरमा रतले ने आभार व्यक्त किया।

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