अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद 75 वर्षों की ध्येय यात्रा हमने आज बटियागढ़ थाना टी आई श्रीमती नेहा गोस्वामी जी को भेंट की9 जुलाई, 1949 को अस्तित्व में आया यह छात्र संगठन, विगत सात दशकों में, देश के हर जनहितकारी आंदोलन एवं जनकल्याणकारी कार्यों में अपनी भूमिका निभाता रहा है। यह पुस्तक, अभाविप के रचनात्मक, आंदोलनात्मक एवं प्रतिनिधित्वात्मक कार्यशैली से ‘राष्ट्र-पुनर्निर्माण’ के कार्य में संगठन द्वारा निभाई गयी अपरिहार्य भूमिका का आलेख है। वर्तमान में 3900 से अधिक इकाइयों, 2331 संपर्क स्थानों, 21 हज़ार शैक्षणिक परिसरों में कार्यरत 32 लाख कार्यकर्ताओं और पूर्व में कार्यकर्ताओं की अनेक पीढ़ियों द्वारा पूरे मनोयोग से सींचे जाने का ही परिणाम है कि आज अभाविप विश्व के सबसे सशक्त छात्र संगठन के रूप में उभरा है।
अभाविप के सुनहरे इतिहास को जीवंत करती ध्येय यात्रा
यह पुस्तक अभाविप के स्थापन, वैचारिक अधिष्ठान, संगठन के स्वरूप एवं विकास क्रम, छात्र आंदोलन की रचनात्मक दिशा, राष्ट्रहित में साहसिक प्रयास, राष्ट्रीय-शैक्षिक एवं सामाजिक मुद्दों पर अभाविप का विचार, छात्र नेतृत्व, आयाम कार्य, प्रभाव, उपलब्धियों एवं वैश्विक पटल पर संगठन जैसे विषयों को अपने दोनों खंडों में समाहित करता है. अभाविप इस वर्ष अपने 75वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है और यह पुस्तक 75 वर्षों के सुनहरे इतिहास का उल्लेख करती है।
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