: श्री जगन्नाथ स्वामी मंदिर द्वारा आयोजित रथ यात्रा में केवल दो दिन शेष रह गए हैं..

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दमोह प्राचीन मंदिर 152 सालो से निरंतर श्री जगदीश मंदिर पुराना थाना से निकल रही जगन्नाथ स्वामी रथ यात्रा।।
जानिए तीनों रथ के बारे में विशेष जानकारी और इतिहास हर साल आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भव्य रथ यात्रा का आरंभ होता है। जो इस बार 7 जुलाई से आरंभ हो रही है। आइए जानते हैं यात्रा का इतिहास और तीनों रथों का महत्व…

शास्त्रों में भगवान जगन्‍नाथ रथयात्रा का विशेष महत्व बताया गया है। यह रथ यात्रा जगदीश मंदिर पुराना थाना दमोह से हर साल निकलती है। रथ यात्रा को देखने हर जिले भर से लोगआते हैं। मान्यता के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण के अवतार जगन्‍नाथजी की रथयात्रा में शामिल होने का पुण्य सौ यज्ञों के बराबर माना जाता है।

आपको बता दें कि हर साल आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भव्य रथ यात्रा का आरंभ होता है। वहीं इस भव्य यात्रा का समापन शुक्ल पक्ष के 11वें दिन जगन्नाथ जी की वापसी के साथ होता है। इस दिन भगवान जगन्नाथ अपनी बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र के साथ अलग-अलग रथों में सवार होकर भ्रमण के लिए निकलते हैं। यात्रा की तैयारी अक्षय तृतीया के दिन श्रीकृष्ण, बलराम और सुभद्रा के रथों के निर्माण के साथ ही शुरू हो जाती है।
बलराम जी का रथ
भगवान बलराम जी के रथ का नाम तालध्वज है। साथ ही इस रथ के रक्षक वासुदेव और सारथी मताली होते हैं। रथ के ध्वज को उनानी कहते हैं। वहीं जिस रस्सी से रथ खींचा जाता है, वह वासुकी कहलाता है।
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बहन सुभद्रा का रथ
गवान बलभद्र और जगन्नाथ भगवान की छोटी बहन सुभद्रा का रथ का नाम पद्मध्वज है। साथ ही रथ को तैयार करने में काले और लाल रंग के कपड़ों का प्रयोग किया जाता है। रथ की रक्षक जयदुर्गा व सारथी अर्जुन होते हैं। वहीं इसके अश्व रोचिक, मोचिक, जिता व अपराजिता हैं। साथ ही से खींचने वाली रस्सी को स्वर्णचूड़ा कहते हैं।

रथ यात्रा का इतिहास
भगवान जगन्नाथ मंदिर को लेकर कई कथाओं का वर्णन है। साथ ही कहते हैं कि यह बाद में नष्ट हो गया है। वहीं ऐसा माना जाता है धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान जगन्नाथ के दर्शन करने से साधक के सभी दुख दूर हो जाते हैं। पुजारी पंडित नर्मदा प्रसाद गर्ग जी ने बताया कि जगन्नाथ के भात को जगत पसारे हाथ शनिवार को दोपहर एक बजे से विशाल भंडारा होगा और रविवार को शाम 5 बजे जगन्नाथ जी भव्य रथ यात्रा निकाली जाएगी जो पुराने थाने से टाकीज चोराहा,बाकोली ,घंटाघर ,उमा मिस्त्री की तलैया ,महाकाली चौराहा , सिटी नल , पुनः पुराने थाने पर विश्राम होगी आप सभी रविवार को 5 बजे रथ यात्रा में शामिल होकर धर्म लाभ अर्जित करे ।

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