शराब परिवहन परमिट की शर्तो के उलंघन का मामला.. दोषियों को एक वर्ष का कारावास एवं पचास हजार रुपया जुर्माना…

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दमोह। अपर सत्र न्यायाधीश संतोष कुमार गुप्ता द्वारा आबकारी अधिनियम के तहत चल रहे बारह वर्ष पुराने मामले में निर्णय करते हुए दो आरोपियों को अवैध तरीके से शराब परिवहन के मामले में कारावास सहित जुर्माना एवं वाहन मालिक आरोपी को जुर्माना से दोषी मानते हुए दण्डित किया है। मामले में शासन की ओर से पैरवी शासकीय अभिभाषक राजीव बद्री सिंह ठाकुर द्वारा की गई।
अभियोजन अनुसार मामला इस प्रकार है, दिनांक 9 जून 2012 को थाना नोहटा में पुलिस को सूचना प्राप्त हुई कि ग्राम तलागांव के पास एक बोलेरो गाड़ी में शराब लेकर विक्रय हेतु वहां स्थित गांव में कुछ व्यक्ति ले जा रहे हैं। उक्त सूचना पर थाना नोहटा पुलिस ग्राम तलागांव पहुंची और वहां पर एक बोलेरो गाड़ी को जिसमें आरोपी देवी सिंह पिता रतन सिंह निवासी बालाकोट, रसीद खान उर्फ कुद्दू पिता कुन्नू खान निवासी सीताबावली बैठे हुए थे को घेराबंदी कर पकड़ा। पुलिस ने गाड़ी की तलाशी ली तो उसमें 14 पेटी कार्टून में शराब मिली पुलिस ने शराब रखे होने के संबंध में उनसे कागजात मांगे तो उन्होंने उस समय कागज नहीं होना बताया। पुलिस आरोपियों को गिरफ्तार कर थाने ले आई। दूसरे दिन पुलिस को शराब परिवहन के संबंध में जिला आबकारी अधिकारी द्वारा जारी परमिट प्राप्त हुआ, जिसमें बताया गया था कि शराब को अभाना शराब दुकान से हृदयपुर शराब दुकान परमिट प्राप्त कर ले जा रहा है, परंतु पुलिस ने परमिट में लिखे मार्ग, जो अभाना शराब दुकान से हृदयपुर शराब दुकान ले जाने का था उससे अलग मार्ग पर यह बोलेरो गाड़ी शराब ले जाते पकड़ी थी पुलिस ने परमिट को ही संदिग्ध एवं कूटरचित माना, यह भी माना कि शराब पकड़े जाने के बाद अधिकारियों से मिलकर यह परमिट झूठा बनाया गया है, पुलिस अपनी विवेचना में इस बात पर पहुंची कि अभाना शराब दुकान और हृदयपुर शराब दुकान के लाइसेंसी गांव-गांव में जाकर शराब को अवैध रूप से विक्रय करते हैं पुलिस ने दोनों शराब दुकानों के लायसेंसीओ सहित मैनेजर संजय पिता शिवकुमार यादव निवासी आमचोपरा, कमलेश पिता श्यामले पटेल निवासी दमोह और वाहन मालिक शैलेश शर्मा पिता सुभाष शर्मा निवासी अभाना को भी आरोपी बनाकर मामला न्यायालय में पेश किया। मामला न्यायालय के समक्ष आने पर आरोपियों की ओर से न्यायालय को बताया गया कि वह लोग अभाना शराब दुकान से परमिट प्राप्त कर शराब को हृदयपुर दुकान में ले जा रहे थे, वह अपने परमिट के निर्धारित मार्ग पर ही जा रहे थे परंतु कुछ लोगों ने उन्हें डरा धमका कर उनका रास्ता बदल दिया। न्यायालय ने सभी पक्षों को सुनने के पश्चात आरोपी देवी सिंह एवं रशीद खान को एक एक वर्ष के साश्रम कारावास और पचास हजार रुपए के जुर्माना और वाहन मालिक शैलेश शर्मा को निजी रूप में पंजीकृत वाहन का व्यवसायिक उपयोग करने का दोषी मानते हुए तीन हजार रुपए के जुर्माने से दंडित कर निर्णय में लिखा कि प्रस्तुत परमिट उचित अधिकारी द्वारा जारी किया गया है, परंतु परमिट में दी गई शराब की मात्रा से अधिक शराब गाड़ी में पकड़ी गई है और परमिट में बताए गए मार्ग से हटकर अन्य मार्ग पर शराब पकड़ी गई है, ऐसे में शराब ले जाने वाले आरोपी को दोषी माना जाना ही उचित होगा, परंतु शराब दुकान के मैनेजर एवं लाइसेंसियो को दोषमुक्त करते हुए माना कि इन्हें दोषी इसलिए नहीं मान सकते क्योंकि लाइसेंसी अपने सेवकों के उन्ही कार्यों के लिए दायित्ववान होंगे जो मदिरा दुकान में उसके द्वारा किए गए हो या प्रदत्त लाइसेंस या परमिट के अनुसरण में किए गए हो ना कि सेवक के अन्य किसी प्रकार के कार्य के लिए।

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