दमोह: एक बड़ी कार्रवाई में , दमोह के विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम ने एक प्रधान आरक्षक को 4 साल की सश्रम कैद और 1000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है। आरोपी प्रधान आरक्षक, चंद्रिका प्रसाद मुडा, पर एससी/एसटी एक्ट के तहत दर्ज एक मामले में रिश्वत मांगने का आरोप था।
क्या था मामला?
साल 2017 में, एक व्यक्ति ने पुलिस अधीक्षक लोकायुक्त सागर से शिकायत की थी कि थाना नोहटा के प्रधान आरक्षक उससे रिश्वत मांग रहे हैं। आरोपी प्रधान आरक्षक उससे मामले में पंजीबद्ध अपराध में धाराएं कम करने, गिरफ्तारी न करने और जल्दी चालान पेश करने के लिए 50 हजार रुपये की रिश्वत मांग रहा था।
रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा गया
शिकायत के आधार पर पुलिस ने एक जाल बिछाया और आरोपी को 7000 रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ लिया। विवेचना में जुटाए गए साक्ष्यों के आधार पर आरोपी के खिलाफ अदालत में मामला चलाया गया।
अदालत ने अभियोजन पक्ष के गवाहों और दस्तावेजी साक्ष्यों को आधार मानते हुए आरोपी को दोषी करार दिया और उसे 4 साल की सश्रम कैद और 1000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई।
दमोह न्यायालय विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम दमोह संतोष कुमार गुप्ता आरोपित चंद्रिका प्रसाद मुड़ा (तत्कालीन प्रधान आरक्षक थाना नोहटा) को दोषसिद्ध पाते हुए भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 (संशोधन -2018 ) की धारा 07, धारा 13(1)बी सहपठित धारा 13(2)में दोषसिद्ध करते हुए 04 वर्ष का सश्रम कारावास व 1000 रूपये अर्थदण्ड से दण्डित किया गया.
अभियोजन की ओर से पैरवी विशेष लोक अभियोजक अनंत सिंह ठाकुर द्वारा की गई।
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