राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने आयोजित किया बाल सम्मेलन एवं पथ संचलन..

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने आयोजित किया बाल सम्मेलन एवं पथ संचलन*
दमोह। सनातन धर्म के बाल वीर योद्धा चार साहिबजादो द्वारा धर्म की रक्षा के लिए शीश न झुकाते हुए अपने प्राणों के बलिदान कर देने की ऐतिहासिक घटना की याद में बुधवार को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ द्वारा नगर के कनेक्टर भवन संघ कार्यालय में बाल सम्मेलन एवं पथ संचलन का आयोजन किया गया।

इन कार्यक्रमों में अंताक्षरी, प्रश्नोत्तरी के माध्यम से सनातन संस्कृति की जानकारी बाल पीढ़ी तक पहुंचाई गई। प्रश्नोत्तरी में रामचरित मानस एवं महाभारत जैसे महाकाव्यों से प्रश्नों को लिया गया जिसमें बाल स्वयं सेवकों की पूर्ण सहभागिता रही।

पथ संचालन के लिए निकले बाल स्वयं सेवक..


कार्यक्रम के अगले चरण में बाल स्वयंसेवकों के साथ पथ संचलन किया गया। बड़ी संख्या में बाल स्वयं सेवकों के साथ शुरू हुआ संचलन नगर के विभिन्न मार्गों धगट चौराहा, विंदन चौराहा, घंटाघर, राय चौराह होते हुए आशीर्वाद गर्दन पालंदी चौराहा में पूर्ण हुआ। जिसके पश्चात कार्यक्रम के बौद्धिक वक्ता के रूप में श्री लक्ष्मण जी ने विभिन्न प्रकार की बाल योद्धाओं की जीवन की अनेक घटनाओं का वर्णन करते हुए संघ संस्थापक डॉक्टर हेडगेवार, छत्रपति शिवाजी महाराज एवं चार साहिब जादे, गुरु गोविंद सिंह जैसे वीर योद्धाओं का जीवन चरित्र बताया।

उन्होंने बताया कि वजीर खां ने छोटे साहिबजादे, बाबा जोरावर सिंह, बाबा फतेह सिंह तथा माता गुजरी जी को पूस महीने की तेज सर्द रातों में तकलीफ देने के लिए ठंडे बुर्ज में कैद कर दिया। यह चारों ओर से खुला और उंचा था। इस ठंडे बुर्ज से ही माता गुजरी जी ने छोटे साहिबजादों को लगातार तीन दिन धर्म की रक्षा के लिए शीश न झुकाने और धर्म न बदलने का पाठ पढ़ाया था। यही शिक्षा देकर माता गुजरी जी साहिबजादों को नवाब वजीर खान की कचहरी में भेजती रहीं। बाल आयु के साहिबजादों ने न तो नवाब वजीर खां के आगे शीश झुकाया और न ही धर्म बदला। इससे गुस्साए वजीर खान ने दोनों साहिबजादों को जिंदा दीवार में चिनवा दिया था। जब छोटे साहिबजादों की बलिदान की सूचना माता गुजरी जी को ठंडे बुर्ज में मिली तो उन्होंने भी शरीर त्याग दिया। आयोजन के दौरान मुख्य रूप से नगर संघ चालक डॉ विक्रांत सिंह चौहान, विभाग शारीरिक प्रमुख लक्ष्मण लोधी, नगर बालकाल प्रमुख धर्मेंद्र जू देव मौजूद रहे।

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