दमोह सीएमओ कालिख कांड: प्रदेशव्यापी विरोध,दमोह प्रशासन पर दबाव..

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दमोह सीएमओ कालिख कांड: प्रदेशव्यापी विरोध, दमोह प्रशासन पर दबाव
दमोह नगर पालिका के मुख्य नगर पालिका अधिकारी (सीएमओ) प्रदीप शर्मा के मुंह पर कालिख पोतने के मामले को दमोह जिला प्रशासन द्वारा दबाने के प्रयासों के खिलाफ पूरे मध्य प्रदेश में विरोध तेज हो गया है। बुधवार को दमोह सहित प्रदेश के विभिन्न जिलों में नगरीय निकाय अधिकारियों और कर्मचारियों ने जिला कलेक्टरों को ज्ञापन सौंपकर कालिख कांड के मुख्य आरोपियों सहित अन्य दोषियों पर आपराधिक प्रकरण दर्ज करने की मांग की।


दमोह में इस विरोध प्रदर्शन में सागर संभाग के सभी सीएमओ के साथ जेडी सागर भी मौजूद रहे, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि अब पूरे प्रदेश के नगरीय निकाय अधिकारी और कर्मचारी इस मुद्दे पर एकजुट हैं और दमोह जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन के रवैये से नाराज हैं।
इस घटनाक्रम का एक दिलचस्प पहलू यह रहा कि रीवा में सौंपे गए ज्ञापन में जहां दमोह जिला प्रशासन को सीधे तौर पर लापरवाही बरतने के लिए आलोचना की गई, वहीं दमोह में सौंपे गए ज्ञापन से जिला प्रशासन की “लचरता” दर्शाने वाले शब्दों को हटा दिया गया।


रीवा के ज्ञापन में स्पष्ट आरोप:


रीवा नगर निगम व नगर पालिका अधिकारी कर्मचारी संघ द्वारा सौंपे गए ज्ञापन में स्पष्ट रूप से स्थानीय ठेकेदार विवेक अग्रवाल और अनुराग छुट्टु यादव पर दमोह नगर पालिका सीएमओ प्रदीप शर्मा के मुंह पर काली स्याही लगाने का आरोप लगाया गया है। ज्ञापन में कहा गया है कि इस कृत्य से न केवल सीएमओ शर्मा की प्रतिष्ठा खराब हुई है, बल्कि प्रदेश के सभी नगरीय निकाय अधिकारियों और कर्मचारियों का मनोबल भी गिरा है। ज्ञापन में यह भी आरोप लगाया गया है कि जिला प्रशासन अपराधियों पर कोई कार्रवाई न करते हुए मामले को दबाने के लिए जांच कमेटी का गठन कर शर्मनाक घटना पर पर्दा डालने का प्रयास कर रहा है, जिससे प्रदेश के सभी नगरीय निकाय अधिकारियों और कर्मचारियों में आक्रोश है।
पहले भी हो चुके हैं हमले:


प्रदेश स्तर पर सौंपे गए ज्ञापनों में यह भी उल्लेख किया गया है कि इससे पहले भी हरसूद, विदिशा, बड़वानी, कोठी और मनगंवा के नगर पालिका सीएमओ पर हमले और दुर्व्यवहार के मामले सामने आ चुके हैं। इन मामलों में भी संबंधित जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन का रवैया संतोषजनक नहीं रहा है। ज्ञापन में कहा गया है कि अब दमोह जिला प्रशासन भी उसी राह पर दिखाई दे रहा है। यदि दमोह सीएमओ पर हमले और दुर्व्यवहार की घटना पर शासन द्वारा अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाती है, तो अगले चरण में पूरे प्रदेश के नगरीय निकायों में कामबंद हड़ताल शुरू करने पर विचार किया जा रहा है।


जेडी सागर के नेतृत्व में दमोह में ज्ञापन:


दमोह में जेडी सागर के नेतृत्व में सौंपे गए ज्ञापन में भी ठेकेदार विवेक अग्रवाल और अनुराग छुटुटू यादव पर आपराधिक प्रकरण दर्ज कराने की मांग की गई है। इस ज्ञापन में अन्य जिलों में हुई ऐसी घटनाओं का जिक्र करते हुए गहरा असंतोष व्यक्त किया गया है। इस दौरान दमोह जिले के अलावा सागर संभाग की सभी नगर पालिकाओं और नगर परिषदों के सीएमओ ने एकजुटता दिखाई। जेडी सागर ने मीडिया को दिए बयान में इस घटना को निंदनीय बताया और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की।


सोशल मीडिया पर सीएमओ के समर्थन में आवाजें:


जब सीएमओ प्रदीप शर्मा के मुंह पर कालिख पोती गई थी, तब सोशल मीडिया पर उनके विरोध में पोस्टें डाली जा रही थीं। हालांकि, अब जब इस घटना के पीछे के संभावित कारणों और निजी स्वार्थों को धार्मिक रंग देने के प्रयासों की जानकारी लोगों तक पहुंचने लगी है, तो अब लोग खुलकर सीएमओ प्रदीप शर्मा के समर्थन में पोस्ट करते दिखाई दे रहे हैं।


किसके दबाव में FIR नहीं?


प्रदेश के सभी नगरीय निकाय के अधिकारी और कर्मचारी अब खुलकर यह सवाल उठा रहे हैं कि जब सीएमओ कालिख कांड का मुख्य सबूत वीडियो पूरे देश में वायरल है, तो जिला प्रशासन किस बात की जांच कर रहा है। वे सवाल कर रहे हैं कि कलेक्टर और एसपी किसके दबाव में हैं, जिन्होंने शासकीय कार्य में बाधा डालने वाले तत्वों पर अब तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं की है।


सीएमओ ने बताया पार्षदों का षड्यंत्र:


इस मामले में नया मोड़ तब आया जब सीएमओ प्रदीप शर्मा ने मीडिया के सामने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि यह नगर पालिका के कुछ कर्मचारियों और पार्षदों का षड्यंत्र है। उन्होंने आरोप लगाया कि वे चाहते हैं कि सीएमओ या तो तबादला करा लें या लंबी छुट्टी पर चले जाएं, ताकि उनके अवैध बिलों का भुगतान हो सके। उन्होंने दावा किया कि उन्होंने नगर पालिका में करोड़ों रुपये के घोटाले पकड़े हैं, जिनमें अवैध कब्जे, घटिया निर्माण, टैक्स चोरी, फर्जी बिल भुगतान के लिए दबाव बनाना, आउटसोर्स कर्मचारी घोटाला और जीएसटी चोरी जैसे कई मामले शामिल हैं। उनका कहना है कि ये गड़बड़ी करने वाले वही प्रदर्शनकारी हैं जिन्होंने घंटाघर पर उनके खिलाफ षड्यंत्र रचा था। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें हिंदू विरोधी बताया जा रहा है, जबकि वह धार्मिक प्रवृत्ति के ब्राह्मण हैं।
इस पूरे घटनाक्रम से दमोह जिला प्रशासन पर भारी दबाव है कि वह कालिख कांड के दोषियों के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई करे, अन्यथा प्रदेशव्यापी आंदोलन और तेज हो सकता है।

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