दमोह में फर्जी हार्ट सर्जन का खुलासा, प्रयागराज से गिरफ्तारी..
दमोह में अधिवक्ता दीपक तिवारी की शिकायत के बाद “एन जान कैम” के नाम से फर्जी हार्ट सर्जन नरेंद्र यादव का फर्जीवाड़ा उजागर हुआ है। प्रयागराज से गिरफ्तार किए गए इस फर्जी डॉक्टर के पास से पुलिस ने भारी मात्रा में फर्जी दस्तावेज बरामद किए हैं।

शनिवार शाम को पुलिस अधीक्षक श्रुतकीर्ति सोमवंशी ने प्रेस वार्ता में जानकारी देते हुए बताया कि नरेंद्र यादव ने केवल एमबीबीएस की डिग्री हासिल की है। इसके बाद की उसकी सभी डिग्रियां फर्जी हैं। उसने आधार कार्ड सहित अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेजों को भी कूटरचित कर स्वयं तैयार किया था। पुलिस ने डॉक्टर के फ्लैट से फर्जी दस्तावेज बनाने में इस्तेमाल होने वाले उपकरण भी बरामद किए हैं, जिन्हें साक्ष्य के तौर पर जब्त कर लिया गया है।

पुलिस ने कानपुर स्थित नरेंद्र यादव के पैतृक घर की भी तलाशी ली है, जहाँ पता चला कि उसका अपने परिवार के सदस्यों से अधिक मेलजोल नहीं था। एसपी सोमवंशी ने बताया कि आरोपी के पास से भारी मात्रा में फर्जी दस्तावेज मिले हैं और उसके विदेश जाने या उच्च शिक्षा प्राप्त करने का कोई प्रमाण नहीं मिला है। इस मामले की जांच के लिए गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) गहनता से छानबीन कर रहा है। टीम को नरेंद्र यादव के बचपन के फोटो सहित अन्य महत्वपूर्ण जानकारी मिली है, जिससे यह साबित होता है कि गिरफ्तार व्यक्ति कानपुर का ही नरेंद्र यादव है। जबकि उसने उत्तराखंड के पते पर आधार कार्ड बनवाया था, जहाँ एक अन्य व्यक्ति “ए जान कैम” के नाम से रहता है, जिसका सहारा भी नरेंद्र यादव ने लिया था।

दिल की सर्जरी के बाद मौतें..
“एन जान कैम” के नाम से नरेंद्र यादव ने जहाँ भी हृदय संबंधी ऑपरेशन किए, वे असफल रहे। छत्तीसगढ़ विधानसभा के पहले अध्यक्ष राजेंद्र शुक्ल का मामला पहले ही सामने आ चुका है। दमोह में भी ऐसे सात मामले प्रकाश में आए हैं। हालांकि, एसपी ने नरेंद्र यादव द्वारा अन्य अस्पतालों में किए गए ऑपरेशन के संबंध में कोई जानकारी नहीं दी है।

फर्जी डॉक्टर और सीएमएचओ का नरसिंहपुर कनेक्शन..
दमोह में पदस्थ मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) मुकेश जैन इससे पहले नरसिंहपुर जिला अस्पताल में सिविल सर्जन के पद पर कार्यरत थे। उस दौरान फर्जी “एन जान कैम” यानी नरेंद्र यादव नरसिंहपुर के एक भाजपा नेता के बेटे के अस्पताल में सर्जन के तौर पर काम कर रहा था। इस खुलासे से नरेंद्र यादव और मुकेश जैन के बीच पुराने संबंधों की बात सामने आई है। माना जा रहा है कि इन्हीं संबंधों के कारण शिकायत के एक महीने बाद भी इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई। जब मानव अधिकार आयोग की टीम के दमोह आने की सूचना मिली, तो आनन-फानन में रात 2 बजे एफआईआर दर्ज की गई और मामले का पर्दाफाश हुआ।
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