पत्रकार के साथ मारपीट, धमकी और लूट का आरोप; विधायक के बेटे पर गंभीर आरोप, पुलिस पर भी उठे सवाल
दमोह/हटा:
शुक्रवार रात हटा तहसील में पत्रकारों के साथ हुई अभद्रता, मारपीट और लूटपाट की घटना ने पूरे जिले में आक्रोश की लहर दौड़ा दी है। आरोपों के केंद्र में भाजपा विधायक उमा देवी खटीक का छोटा बेटा प्रिंसदीप खटीक और उसके कुछ साथी हैं। वहीं, पुलिस प्रशासन की निष्क्रियता और रिपोर्ट दर्ज करने से इनकार ने मामले को और भी गंभीर बना दिया है।

घटना का पूरा विवरण:
मामला हटा तहसील का है, जहां एक पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष और कांग्रेस नेता के बेटे की गाड़ी से एक कुत्ते की मृत्यु हो गई थी। इसके बाद घटनास्थल पर पहुंचे विधायक के बेटे प्रिंसदीप खटीक और उनके साथियों ने कथित रूप से मृत कुत्ते की मौत से गुस्साए होकर उस कार में जमकर तोड़फोड़ की। इसी बीच घटनास्थल की रिपोर्टिंग करने पहुंचे IBC न्यूज़ के संवाददाता जितेंद्र गौतम को भी युवकों ने गाली-गलौज करते हुए मारपीट का शिकार बनाया। पत्रकार का मोबाइल फोन, सोने की चेन और पर्स भी गायब होने की बात सामने आई है।
थाने में भी धमकी, FIR दर्ज करने से इनकार:
घटना के बाद दोनों पक्ष जब रिपोर्ट दर्ज करवाने हटा थाने पहुंचे, तो वहां भी पत्रकार को पुलिस के सामने धमकाया गया और एफआईआर दर्ज करने से इनकार कर दिया गया। पत्रकार जितेंद्र गौतम ने इस मामले की जानकारी दमोह एसपी श्रुत कीर्ति सोमवंशी को भी दी, लेकिन कथित रूप से उन्होंने भी विधायक से जुड़ा मामला होने के कारण रिपोर्ट दर्ज करने से परहेज करने की सलाह दी और सुबह तक इंतजार करने को कहा।

प्रदर्शन व प्रशासनिक हस्तक्षेप:
जब दोपहर तक भी कोई सुनवाई नहीं हुई, तो जितेंद्र गौतम अन्य पत्रकारों के साथ दमोह आ गए और अंबेडकर चौक पर धरने पर बैठ गए। इस विरोध प्रदर्शन में दमोह के कई पत्रकारों ने भाग लिया और आरोपियों पर कार्रवाई की मांग को लेकर ज्ञापन सौंपा।

धरना स्थल पर एडिशनल एसपी संदीप मिश्रा, एसडीएम आर.एल. बागड़ी, सीसी अभिषेक तिवारी और कोतवाली थाना प्रभारी मनीष कुमार सिंह पहुंचे और पत्रकारों को निष्पक्ष जांच और शीघ्र कार्रवाई का आश्वासन दिया। इसके बाद धरना फिलहाल 24 घंटे के अल्टीमेटम के साथ स्थगित कर दिया गया।

अब तक विधायक पक्ष की चुप्पी:
घटना को लेकर अब तक विधायक उमा देवी खटीक और उनके बेटे प्रिंसदीप खटीक की ओर से कोई बयान सामने नहीं आया है, जिससे मामले पर और भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
पत्रकारों की मांग:
- पत्रकार जितेंद्र गौतम पर हमले के आरोपियों की तुरंत गिरफ्तारी
- एफआईआर दर्ज कर मामले की निष्पक्ष जांच
- पत्रकारों की सुरक्षा के लिए ठोस व्यवस्था
यह मामला न सिर्फ एक पत्रकार की सुरक्षा से जुड़ा है, बल्कि यह सवाल भी खड़ा करता है कि क्या सत्ता से जुड़े लोगों के खिलाफ कानून की धाराएं निष्क्रिय हो जाती हैं?
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