महाराज जी ने तीसरे दिन की कथा में अन्त मति सो गास एवं भगवान के विशेष गुण के बारे में बताया
दमोह। असाटी संस्कार भवन में सकल असाटी समाज द्वारा श्रीमद्भागवत कथा के तृतीय दिवस कथा व्यास आचार्य श्री हरे कृष्ण दास ब्रह्मचारी जी महाराज ने पृथु चरित्र, पुरंजनोपाख्यान, प्रियव्रत, ऋषभदेव, भरत, वृत्रासुर एवं प्रहलाद चरित्र पर विशेष प्रकाश डालते हुए कहा मरने के समय हमारे जैसे भाव, चिन्तन आदि होंगे. उसी के अनुसार हमारा अगला जन्म होगा। जैसे राजा भरल अपनी तपस्या एवं भजन प्रभाव से सिद्ध हो गये थे, परन्तु मरते समय एक हिरण का चिन्तन होने से उनका अगला जन्म हिरण का हुआ एवं हिरण को मरते समय अपने पालक भरत का चिम्लन रहा, तो उसे मनुष्य जन्म प्राप्त हुआ।
अतः निरन्तर श्री कृष्ण का स्मरण, चिन्तन, मनन करना चाहिये जिससे तद्नुसार हमें भगवान की प्राप्ति हो सके. श्री प्रहलाद चरित्र पर आपने कहा कि श्रीगुरु नारद जी की कृपा से उन्हें श्रीभगवान् के लत्त्व-सर्वज्ञ, सर्वत्र, सर्वदूष्टा एवं सर्वकर्ता का पूर्ण ज्ञान एवं विश्वास था।
इसलिये प्राण घातक अनेक उद्यमों के द्वारा हिरण्यकशिपु प्रहलाद जी का बालबांका भी नहीं कर सका. उन्होंने कभी अपने इष्ट श्री हारे को अपनी रक्षा हेतु नहीं पुकारा इसलिये प्रहलाद जी श्री बारे के सर्वश्रेष्ठ ज्ञानी-भक्त की श्रेणी में अग्रगण्य हैं।
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