निर्यापक श्रमण मुनि श्री सुधा सागर जी महाराज की दमोह नगर आगमन पर भव्य मंगल अगवानी
दमोह। आचार्य भगवान श्री विद्यासागर जी महाराज एवं आचार्य श्री समय सागर जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य निर्यापक मुनि पुंगव श्री सुधा सागर जी महाराज के संघ सहित दमोह नगर आगमन पर भव्य मंगल अगवानी की गई। वही मुनि श्री के सानिध्य में जैन धर्मशाला में निर्यापक मुनि श्री योग सागर जी नियम सागर जी का मुनि दीक्षा दिवस मनाया गया।
कुंडलपुर में आचार्य पदारोहण समारोह के बाद आचार्य श्री के शिष्य मुनिराजों का मंगल विहार चल रहा है। इसी कड़ी में मुनि श्री सुधा सागर जी महाराज का धर्म नगरी बांदकपुर में कुछ दिनों के प्रवास के बाद बुधवार को दमोह नगर में मंगल प्रवेश हुआ। इस अवसर पर बड़ी संख्या में भक्त जनों ने समन्ना तिराहा पहुचकर मुनि संघ की अगवानी की। धरमपुरा नाके से मुनि संघ की धूमधाम से अगवानी करते हुए शहर प्रवेश कराया गया। इस दौरान दिगंबर जैन पंचायत कुंडलपुर कमेटी विभिन्न मंदिरों की समिति महिला मंडल बालिका मंडल स्वयंसेवक समिति सहित सकल जैन समाज के लोगों ने उत्साह के साथ सहभागिता दर्ज कराई।
गढ़ी मोहल्ला, पुराना थाना, टाकीज, सराफा, घंटाघर, नयाबाजार, धगट चौराहा से होते हुए दिगंबर जैन धर्मशाला पहुंचे मुनि संघ का जगह-जगह रंगोली सजाकर मंगल कलशों के साथ अगवानी की गई। वही पाद प्रच्छलन तथा आरती करके निर्यापक श्रमण का सभी ने आशीर्वाद प्राप्त किया। श्री पारसनाथ दिगंबर जैन नन्हे मंदिर जी में दर्शन उपरांत जैन धर्मशाला मंच से मुनि श्री सुधा सागर जी के सानिध्य में मुनि योगसागर एवं नियम सागर जी का दीक्षा दिवस मनाया गया। इस अवसर पर कुंडलपुर कमेटी के अध्यक्ष चंद्र कुमार सराफ परिवार को पाद प्रक्षालन एवं शास्त्र भेंट करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। आहार दान का सौभाग्य ब्रह्मचारी अभिषेक जैन गोलू भैया परिवार को प्राप्त हुआ।
संतो के सानिध्य का लाभ पाने उनके ज्ञान ज्योति से अपने जीवन को प्रकाशित करें- सुधा सागर जी- इस मौके पर मुनि श्री ने अपने मंगल प्रवचन में कहा कि दीपक जगत के अंधकार को दूर कर देता है दीपक स्वयं जलता है किंतु वह दूसरों को प्रकाशित कर देता है आज अमावस्या है किंतु संतो के आगमन से यह महोत्सव में परिवर्तित हो जाती है जिस तरह भगवान महावीर ने अमावस्या को मोक्ष प्राप्त कर इस जगत को मोक्ष महोत्सव मनाने का अवसर प्रदान कर दिया भगवान को मोक्ष प्राप्त हुआ किंतु उनके मोक्ष कल्याणक दिवस से हम सबको लाभ प्राप्त हुआ। दीपक की ज्योति से हमें लाभ तभी प्राप्त हो सकता है जब हमारी आंख खुली हो। नेत्रहीन के लिए प्रकाश का कोई महत्व नहीं। संतो के सानिध्य से तभी लाभ हो सकता है जब हम उनके ज्ञान ज्योति से अपने जीवन को प्रकाशित कर पाएं। जब निमित्त हमारे उपादान के लिए कार्यकारी हो जाएं तभी सार्थकता है दमोह वालों के भाग्य से हर साधु के लिए दमोह आना पड़ता है क्योंकि आपके भाग्य से कुंडलपुर निकट है दमोह के लिए साधु आता नहीं लाया जाता है अब ऐसा पुरुषार्थ करो की साधु दमोह के नाम से दमोह आए कुंडलपुर के लिए दमोह ना आये।
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