समारोह के तृतिय दिवस आज होगी मुंबई के हास्य नाटक मटन मसाला चिकन चिली की प्रस्तुति..

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राष्ट्रीय नाट्य समारोह द्वितिय दिवस: साहित्य सम्राट मुंषी प्रेमचंद के नाटकों में दिखी सामजिक और सवैधानिक मूल्यों की झलक

समारोह का दूसरा दिन किया गया प्रसिद्ध साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद को समर्पित, दो नाटकों की हुई प्रस्तुति

अन्वेषण थियेटर गु्रप द्वारा बड़े भाई साहाब और युवा नाट्य मंच द्वारा पंच परमेष्वर की दी गई प्रस्तुति

मंच के माध्यम से रंगकर्मी व पत्रकार लक्ष्मीकांत तिवारी व आषीष श्रीवास्तव को दी गई श्रृद्धांजलि

समारोह के तृतिय दिवस आज होगी मुंबई के हास्य नाटक मटन मसाला चिकन चिली की प्रस्तुति

दमोह। नगर के मानस भवन सभागार में संस्कृति मंत्रालय भोपाल के सहयोग से युवा नाट्य मंच दमोह द्वारा आयोजित किए जा रहे 20 वे राष्ट्रीय नाट्य समरोह के दूसरे दिन प्रसिद्ध साहित्यकार, लेखक और जनमानस के अपने लेखक कहे जाने बाले मुंषी प्रेमचंद द्वारा रचित दो नाटकों की प्रस्तुति दी गई। नाटकों में वर्षो पूर्व मुंशी प्रेमचंद द्वारा उल्लेखित सामाजिक और नैतिक मूल्यों के साथ व्यवस्थाओं पर की गई टिप्पणियां आज भी प्रसंगिक नजर आती है और नाटकों के कलाकारों ने अपने अभिनय से इसे प्रभावी तरीके से जनमानस तक पहुंचाने में सफल भी रहे है। वहीं नाटक के दौरान संस्था के वरिष्ठ सदस्य रहे लक्ष्मीकांत तिवारी व सागर जिले के वरिष्ठ रंगकर्मी आशीष श्रीवास्तव को भी श्रृद्धांजलि ज्ञापित की गई।

षिक्षा और सामजिक दबाव को दिखाता नाटक बडे भाईसाहब
समारोह के दूसरे दिन प्रथम प्रस्तुति नाटक बड़े भाई साहब की हुई। कहानी मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखित इस नाटक में बड़ा भाई जो कि बहुत पढ़ाई करता है, दिन रात मेहनत करता है, खेलने कूदने भी नहीं जाता वो लगातार फेल होता जाता है। इसके विपरीत छोटा भाई जिसका मन पढ़ाई में नहीं लगता वो पहले नंबर से पास होता है। बड़ा भाई जो कि उम्र में कुछ ही बड़ा है उसे ये लगातार ध्यान रखना पड़ता है कि वो बड़ा है तो उसे समाज, स्कूल और परिवार में वो हर ऊँचे मूल्य स्थापित करने हैं जो उसे बालपन में खुद भी अच्छे से पता नहीं चले हैं। ऐसे में इस नाटक से यह कहानी कहीं न कहीं हमारी शिक्षा प्रणाली पर एक बड़ा प्रष्न नजर आता है। नाटक के निर्देषक संतोष तिवारी यह जानते थे कि कहानी जनमानस द्वारा देखी और सुनी गई है इसलिए निर्दषक के रूप में नयापन देने का प्रयास किया है और उसमें सफल भी रहे है। अभिनय पक्ष काफी अच्छा है और कलाकार दर्षकों को एक नयापन देते है। बड़े भाई साहब की भूमिका में रवींद्र दुबे ‘‘कक्का’, छोटे भाई की भूमिका में संदीप दीक्षित ने किरदार को आत्मसात किया है। हेड मास्टर सुमीत दुबे, शिक्षिक आयुषी चैरसिया, छात्र बनी ज्योति रायकवार, अमजद खान, अश्विनी साहू, देवेन्द्र सूर्यवंशी,दीपांश सेन,प्रियांश सेन ने अपने पात्रों के साथ न्याय किया है। मंच प्रबंधन में डॉ. अतुल श्रीवास्तव और प्रकाष संयेाजन में संदीप बोहरे और कपिल नाहर का कार्य काफी उम्दा है। अभिषेक दुबे ने संगीत में देषकाल का ध्यान रखा है। राजीव जाट,सतीश साहू, सतीश साहू का सहयोग रहा है।

कर्णप्रिय संगीत के साथ अभिनय की धार दिखाता पंच परमेष्वर
दूसरी प्रस्तुति युवा नाट्य मंच द्वारा नाटक पंच परमेष्वर की दी गई। यह नाटक में न्याय की आत्मा और उसे आत्मसात करने बाले लोगों की कहानी को बताती है। कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद की यह कहानी पंच और उसके न्याय की विशेषता को प्रदर्शित करती है। अलगू चैधरी और जुम्मन शेख नाम के दो दोस्त थे वे दोनों एक साथ रहते और सांझे में खेती किया करते थे। उनके बीच में किसी प्रकार का कोई विवाद नही था। जुम्मन शेख अपनी खाला की जमीन झांसा देकर अपने नाम कर लेता है और उनसे झूठा वादा करता है कि वह उनकी देखभाल करेगा और अच्छा-अच्छा खाने देगा बाद में जुम्मन शेख और उसकी पत्नी खाला के साथ बुरा व्यवहार करती है और खाना तक नही देती है । यह बात खाला को नागवार गुजरती है और वह यह मामला पंचायत में ले जाती है। पंचायत में अलगू चैधरी के लिए इस पर फैसला सुनाने के लिए पंच अख्तियात किया जाता है और वह आत्मा की आवाज और सच्चाई पर चलते हुए जुम्मन शेख के खिलाफ फैसला देता है और खाला को न्याय दिलवाता है। इस बात को लेकर जुम्मन शेख के मन में अलगू चैधरी के प्रति वैमनस्यता आ जाती है और वह उससे बदला लेने के बारे में सोचने लगता है। अलगू चैधरी गांव के मेले से एक बैल खरीदता है ।समझू साहू नामक एक व्यक्ति जो कि व्यापारी है वह बैल अलगू चैधरी से यह कहकर उधार ले लेता है कि वह उसे एक माह में वापस लौटा देगा। समझू साहू बैल से अत्यधिक काम करवाता है और अंततः बैल मर जाता है। जब अलगू चैधरी अपना बैल लेने समझू साहू के घर जाता है तो समझूू साहू उस पर ही आरोप लगा देता है कि उसने अच्छा बैल नही दिया था यह मामला पंचायत में पहुंचता है और उस पंचायत का पंच जुम्मन शेख बनाया जाता है। जुम्मन शेख सोचता है कि अलगू चैधरी से बदला लेने का यह सुनहरा अवसर है उधर अलगू चैधरी भी समझ जाता है कि जो फैसला उसने जुम्मन शेख के खिलाफ किया था आज वह उसका बदला अवश्य लेगा। लेकिन जब जुम्मन शेख पंच के पद पर बैठता है तो उसके मन के भाव बदल जाते हैं और वह अलगू चैधरी के पक्ष में और समझू साहू के खिलाफ में फैसला सुनाता हैं। यही पंच और न्याय की जीत होती है।मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखित यह नाटक अपने आप में तत्कालीन कई सामाजिक परिस्थितियों को समेटता है। यह नाटक यह दर्शाता है कि जो भी व्यक्ति न्याय की कुर्सी पर बैठता है वह सर्वोपरि होता है और हमेशा न्याय ही करता है।
कहानी के अभिनय और निर्देशकीय पक्ष की बात करें तो यह कहानी जनमानस के बीच हमेशा से सुनी और पढ़ी जाने के बाद भी नाटक एक नयापन लेकर आता है। निर्देषक राजीव अयाची ने कुछ परिवर्तनों के साथ नाटक में हास्य पक्ष भी जोड़ा है जो दर्शकों को लुभाता है। वहीं संगीत पक्ष इस नाटक की आत्मा है और संगीतकार मंच पर ही नाटक को साथ लेकर चलते है। देशी और कर्णप्रिय संगीत संयोजन देवेश श्राीवास्तव, राजेश खरे और लक्ष्मी शंकर सिंह रघुवंशी,का है।कलाकारों में जुम्मन शेख बने पंकज चतुर्वेदी, खाला बनी दीक्षा सेन,करीमन शिवानी बाल्मिक, अलगू चैधरी हरिओम खरे, समझू साहू राजेश श्राीवास्तव ने किरदार को आत्मसात किया है। इसके अलावा पंच व ग्रामीणों की भूमिका में वरिष्ठ रंगकर्मी अनिल खरे, संजय खरे, ब्रजेन्द्र राठौर ग्रामीणों के बीच होने बाले चुटीले संवादो और आपसी प्रेम भरी नोकझोक भी अपने अभिनय में दिखाते है। इसके अलावा नयन खरे ,देवांश सिंह राजपूत, अनुनय श्राीवास्तव, अनुभव श्राीवास्तव, पारस गर्ग, एहकाम खान, देवेश श्रीवास्तव मंच पर कई संगीत और अभिनय दोनो भूमिकाओं को संभालते नजर आते है। रूपसज्जा और मंचीय व्यवस्था में राजबहादुर अग्रवाल, वैभव नायक, अमृता जैन का सहयोग रहा।
आज नट रंगभूमि की हास्य नाटक की प्रस्तुति
समारोह की तीसरे दिन आज शुक्रवार को नट रंगभूमि थियेटर मुम्बई महाराष्ट्र द्वारा हास्य नाटक मटन मसाला चिली चिकिन की प्रस्तुति दी जाएगी। पारिवारिक रिष्तों और सास बहु की आपसी नोकझोक पर आधारित यह एक हास्य नाटक है। नाटक का मंचन सभागार में शाम 7 बजे किया जाएगा।

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