संयम धारण करने वाले संसार में विरलेः मुनि श्री प्रबुद्ध सागर.. 

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बनवार में मुनिश्री का भव्य पिच्छीका परिवर्तन समारोह संपन्न।

संयम धारण करने वाले संसार में विरलेः मुनि श्री प्रबुद्ध सागर 

बनवार- आचार्य परंपरा अनुसार चातुर्मास के बाद दिगंबर जैन संत के संयम के उपकरण पिच्छिका का प्रतिवर्ष परिवर्तन किया जाता हैं।इसी श्रृंखला में बनवार ग्राम में आचार्य श्री समय सागर जी महराज के परम शिष्य अभिक्ष्ण ज्ञानोपयोगी मुनि श्री 108 प्रबुद्ध सागर जी महराज एवम मुनि श्री 108 निर्दोष सागर जी महाराज का भव्य पिच्छिका परिवर्तन समारोह संपन हुआ। अ.भा.जैन पत्रकार संघ के जिला अध्यक्ष बनवार निवासी राहुल कुमार जैन ने बताया कि पिच्छिका परिवर्तन के समय मुनि महराजों को नवीन पिच्छी देने और मुख्य रूप से पुरानी पिच्छिका लेने के काफी कठिन नियम होते हैं जो श्रावक संयम से जीवन यापन की प्रतिज्ञा लेते हैं उसे ही पिच्छी देने और लेने का अवसर प्राप्त होता हैं।

कार्यक्रम का कुशल निर्देशन बाल ब्रा. नरेश भैया जी जबलपुर के द्वारा किया गया। मुनि श्री ने प्रवचनों में कहा कि प्रत्येक वर्ष में चातुर्मास के बाद ही पिच्छिका का परिवर्तन किया जाता हैं क्योंकि जिस मोर पंख से पिच्छि बनी रहती हैं उसमे कठोरता आ जाती हैं जिसमें जीवों का घात होने लगता हैं दिगंबर साधु की पहचान मौर पंख की पिच्छी है। पिच्छी मोर द्वारा छोड़े गए पंखों से निर्मित है यह इतनी मुलायम होती है कि इससे किसी जीव को हानि नहीं पहुंचती।

सौभाग्य की बात है मोर ही अकेला एक ऐसा प्राणी है, जी ब्रह्मचर्य को धारण करता है। जब मोर प्रसन्न होता है तो वह अपने पंखी को फैला कर नाचता है।और जब नाचते-नाचते मस्त हो जाता है, तो उसकी आँखों से आँसू गिरते हैं और मोरनी इन आँसू की पीती है तथा इससे ही गर्भ धारण करती है। मौर में कही भी वासना का लेश भी नहीं है, और जिसके जीवन में बासना नहीं, भगवान उसे अपने शीश पर धारण कर लेते हैं। दिगम्बर जैन समाज बनवार के अध्यक्ष देवेंद्र कुमार जैन ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी धर्मप्रेमी बंधुओं और कार्यक्रम को सफल बनाने में सहयोगी नवयुवक मंडल, महिला मंडल, साधु सेवा समिति, चातुर्मास समिति का मंच के माध्यम से आभार व्यक्त किया समारोह में सकल जैन समाज बनवार, सगरा, रीछई, रोड़, परस्वाहा, बांदकपुर, चोपरा, जबेरा, सिंगरामपुर, शाहपुरा, बेलखेड़ा, अभाना, नोहटा, तेंदूखेड़ा, दमोह, जबलपुर जैन समाज के धर्मप्रेमी बंधुओं की उपस्तिथि रही।

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