खुले में रखी धान परिवहन की धीमी रफ्तार ,मावठा बारिश का बन रहा मौसम , हजारों क्विंटल खुले में रखी धान पर मंडरा रहा खतरा..

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खुले में रखी धान परिवहन की धीमी रफ्तार
मावठा बारिश का बन रहा मौसम
हजारों क्विंटल खुले में रखी धान पर मंडरा रहा खतरा

दमोह- दमोह जिले में 13 ऐसे खरीदी केंद्र हैं जहां पर धान की खरीदी खुले मैदानों में की जा रही है। इन खरीदी केंद्रों पर 5 हजार से लेकर 8 हजार टन के करीब खरीदी हो चुकी है। जिससे इन केंद्रों पर खुले आसमान के नीचे धान पड़ी हुई है। इन केंद्रों से जिन्हें धान का उठाव करना है, वह धान का परिवहन कराने में हीला हवाली कर रहे हैं।
धान खरीदी केंद्रों पर परिवहन करने वाली राइस मिल व अन्य परिवहन एजेंसी द्वारा 13 केंद्रों पर रखी धान के रखरखाव के अलावा मौसम की मार के कारण नमीं आने या सूखने के कारण वजन में कमी की आंशका दिखाई दे रही है। इसके अलावा खुले मैदानों में रखी धान को मवेशियों से भी खतरा उत्पन्न हो रहा है।

56 किमी दूर हो रही तुलाई

सिंग्रामपुर खरीदी केंद्र की धान दमोह के चर्चित व्यापारी कपिल मलैया की मनोज ट्रेडिंग कंपनी उठाई जाना है। यह व्यापारी गड़बड़ी करने के मामले में काफी चर्चित है। इसलिए यह धान की तुलाई अपनी गोदाम पर अपने काटे पर करा रहा है, उसे जबेरा या अन्य धर्मकांटा का तौल मंजूर नहीं है। जिससे सिंग्रामपुर से आने वाले प्रत्येक ट्रक में 10 से 12 बोरी की कमती इस व्यापारी द्वारा दिखाई जा रही है। जिससे यह अपना कांटा सेट करते हुए तौल में हेरा-फेरी कर रहा है।

व्यापारियों की बोरियां रखवा रहे

अधिकांश केंद्रों पर देखा जा रहा है कि जो किसान अपनी धान लेकर पहुंच रहे हैं, वह अपने सामने ही धान तुलवा रहे हैं, लेकिन कई केंद्रों पर देखने में आ रहा है कि व्यापारियों की बोरियां रखवाई जा रही हैं, जिन्हें शनिवार व रविवार को अवकाश के दिनों में तौला जाता है। व्यापारियों द्वारा समिति प्रबंधकों व सर्वेयरों को 100 रूपए प्रति बोरी दिया जा रहा है, जिससे दमोह के चर्चित धान खरीदी केंद्रों पर व्यापारियों की बोरियां अटी पड़ी हैं।

पड़ोस की मंडियों की आ रही धान

आपको बता दें कटनी, सिहोरा, कंटगी, पाटन व जबलपुर कृषि उपज मंडी में धान की खरीदी की जाती है। यहां पर व्यापारी 1800 से 1900 रूपए में धान खरीदते हैं और सीधे मालवाहकों पर लोड कराकर दमोह जिले के धान खरीदी केंद्रों पर पहुंचा देते हैं, जिससे दमोह जिले से लगी पड़ोस की मंडियों की धान यहां लगातार पहुंच रही है।

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