जिला रिसोर्स ग्रुप अपने-अपने विभागों के कर्मचारियों को बाल अधिकारों, संरक्षण एवं जेण्डर विषयों पर प्रशिक्षित करें- जिला न्यायाधीश धर्मेश भट्ट
जेण्डर पर आयोजित जिला स्तरीय प्रशिक्षण में प्रतिभागियो को किया गया प्रशिक्षित प्रतिभागियों ने साझा किए अपने विचार
दमोह : 29 अगस्त 2024
कलेक्टर सुधीर कोचर के निर्देशन एवं जिला न्यायाधीश व जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग के मार्गदर्शन में बेटी बचाओ-बेटी पढाओ, (मिशन शक्ति) किशोर-किशोरी सशक्तिकरण कार्यक्रम के तहत डिस्ट्रिक्ट रिसोर्स ग्रुप सदस्यों का जेण्डर, बाल अधिकार, बाल संरक्षण, पॉक्सो एक्ट-12, बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006, सायबर सुरक्षा एवं जेजे एक्ट-15 आदि विषयों पर आधारित जिला स्तरीय प्रशिक्षण जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के एडीआर सभागार में जिला न्यायाधीश धर्मेश भट्ट, जेजे मजिस्ट्रेट सुश्री दिव्या रामटेके, जिला कार्यक्रम अधिकारी जसवंत सिंह वर्मा, की उपस्थिति में संपन्न हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों द्वारा माँ सरस्वती की प्रतिमा पर मल्यापर्ण कर किया गया।
जिला न्यायाधीश धर्मेश भट्ट ने अपने उदबोधन में कहा बच्चे देश का भविष्य है और इनका दिमाग कोरे कागज की तरह है, जिस पर आज अच्छा या बुरा जो लिख दिया जाए वह उसके जीवन भर साये की तरह रहने वाला है, इसलिए आज के प्रशिक्षण के उद्देश्य अनुसार जरुरत हैं की हमारे विभागों के कर्मचारियों, फ्रंट लाइन वर्कर्स को इन विषयों पर प्रशिक्षण दिए जाये ओर इनके माध्यम से बच्चों एवं समुदाय को इन विषयों पर जागरूक किया जाए ।
प्रशिक्षण के दौरान बताया गया कि जेंडर ऐसी सामाजिक अवधारणा है जो लोगों को पुरुषतत्व एवं नारीत्व की रूढ़िवादी परिभाषाओं से बांधती है और हम क्या सोचते हैं, कैसा महसूस करते हैं और किन बातों को मानते हैं, इन पर भी अवधारणा का असर होता है। भारत में लैंगिक समानता -सशक्त महिला, सशक्त भारत राष्ट्रीय जेंडर अभियान (लिंग आधारित) भेदभाव के खिलाफ चलाया जा रहा अभियान हैं जेंडर आधारित भेदभाव और हिंसा अलग-अलग रूपों में हमारी ज़िंदगी और समाज में शामिल है। यह हमारे घर से लेकर पूरे समाज में महिलाओं के साथ होने वाली हिंसा को पोसने और बढ़ावा देने का काम करती है। इसे चुनौती देना और दूर करना एक लंबी सामाजिक बदलाव की प्रक्रिया है। इस मुद्दे पर समुदाय को साथ आकर सोचने की जरुरत है ।
शिक्षा विभाग के डीआरजी मेंबर प्रेमलता उपाध्याय ने जेण्डर के लाभ, हानि और जेण्डर और सत्ता पर विस्तार पूर्वक गतिविधियों, समस्त प्रतिभागियों के विचारों सुझावों का भी प्रस्तुतिकरण किया । बाल संरक्षण अधिकारी अखिलेश चौबे द्वारा बाल अधिकार एवं पॉस्को एक्ट-12 पर विस्तार से चर्चा की गई। इसी क्रम में बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 एवं सायबर सुरक्षा पर जिला समन्वयक ममता एचआईएमसी वीरेंद्र जैन द्वारा प्रशिक्षण दिया गया।
जिला समन्वयक वीरेंद्र जैन ने कहा कि जेंण्डर, लैंगिक- भेदभाव तथा सामाजिक बंधनों व अन्य कुरीतियों के कारण चुनौतियों, शोषण, हिंसा का शिकार होना पड़ता है, यह अभियान इन्हें रोकने संजीवनी का कार्य करेगा, साथ ही जैन द्वारा दमोह जिले के एनएफएचएस-4-5 के आंकड़ों के अनुसार बालिकाओं एवं महिलाओं की स्थिति पर प्रकाश डाला और बताया गया की जिले में जेंडर पर जागरूक किया जाना क्यों जरुरी है ।
जिले के अलग अलग विभागों जिसमें शिक्षा विभाग, श्रम विभाग, सामाजिक न्याय विभाग, आदिमजाति कल्याण विभाग, अन्य पिछड़ावर्ग विभाग, महिला बाल विकास विभाग, स्वास्थ, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, पुलिस विभाग, आजीविका मिशन आदि ने सहभागिता करते हुए अपने विचारों की प्रस्तुति दी और अपनी कार्ययोजना से अवगत करवाया ।
अंत में पर्यवेक्षक मिनी नाथन एवं प्रियंका चौहान महिला बाल विकास विभाग द्वारा विभाग की ओर से इस प्रशिक्षण के मुख्य प्रशिक्षक, समस्त विभागों के प्रतिभागियों का एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण दमोह का आभार व्यक्त किया ।
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