हिन्दी बोलो शान से, करो नहीं संकोच- पुष्पा चिले..

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दमोह
। साकेत धाम दमोह ने गणेश उत्सव पर एवं राष्ट्रीय हिन्दी दिवस पर हिन्दी लेखिका संघ को काव्य पाठ हेतु आमंत्रित किया। इस अवसर पर दूर दूर से पधारे महामंडलेश्वर, साधु एवं संत समाज ने संस्था की बहनों को सम्मानित किया। उपस्थित साहित्यकारों ने पहले चरण में श्री गणेश जी को समर्पित रचनाओं का पाठ किया। द्वितीय चरण में हिन्दी पर केन्द्रित रचनाओं का पाठ किया। सरस्वती वंदना पुष्पा चिले ने प्रस्तुत की। कार्यक्रम का संचालन मनोरमा रतले ने किया। आभार डॉ प्रेमलता नीलम ने किया। पुष्पा चिले ने पढ़ा हिन्दी बोलो शान से, करो नहीं संकोच। डॉ प्रेमलता नीलम ने पढ़ा आशा विश्वास का परचम उठाये रखिये, हिन्दी माता है ये बताये रखिये। मनोरमा रतले ने पढ़ा गणपति गजानन आपका वाहन मचाये बहुत उत्पात है। लता गुरु ने कहा वन्दऊ वीणापाणी को ले गणपति का नाम। राजलक्ष्मी पाराशर ने पढ़ा हमारे गर्व की भाषा है हिन्दी,गौरव मान है हिन्दी। आराधना राय ने पढ़ा काट डारे पीपर जामुन के बिरछा, आम बरगद की छांव नंई रहे। पद्मा तिवारी ने पढ़ा बीता जिसमें बचपन यौवन वही प्रेम की भाषा है हिन्दी। मधुलता पाराशर ने पढ़ा हे विनायक गौरी नंदन, चरणों में करती हूं वंदन। डॉ किरण गोस्वामी ने कहा बिछड़ जायेंगे अपने हमसे, अगर हिन्दी मिट जायेगी। कमलेश शुक्ला ने पढ़ा मिलता रहे हमे आशीर्वाद,हे गणराज पधारो आज। बबिता चौबे ने पढ़ा मेरी शान है हिन्दी, देश की आन है हिन्दी। वसुन्धरा तिवारी ने कहा माता पार्वती के लाला, देवों में देव निराला। मीना पाठक ने पढ़ा किसी के काम जो आये, उसे इन्सान कहते हैं। बड़ी संख्या में श्रोताओं की उपस्थिति रही।

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