मॉ के सातवे दिन माता कालरात्रि की कथा का, कालरात्रि सप्तमी व्रत कथा – पं. श्रीहरि जी महाराज..मानव के लिए मोह बला है जबकि मोक्ष कला है- निर्यापक मुनि श्री अभय सागर जी..

Spread the love

मॉ के सातवे दिन माता कालरात्रि की कथा का, कालरात्रि सप्तमी व्रत कथा – पं. श्रीहरि जी महाराज

मॉ की भव्य चुनरी यात्रा निकाली गई,


आज की कथा मे पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री की सनातन यात्रा का समर्थन भी श्री हरी महाराज के द्वारा किया गया


दमोह। स्थानीय शिव शनि हनुमान मंदिर एस.पी.एम. नगर में 20 नवम्बर 2024 से 28 नवम्बर 2024 तक नव दिवसीय श्रीमद् देवी भागवत कथा पुराण एवं गौतम परिवार द्वारा आयोजित इस आयोजन में हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध कथा वाचक श्री हरि जी महाराज के मुखारविंद से कथा की जा रही हैं।
कथा के प्रारंभ में गौतम निवास से विशाल चुनरी यात्रा कथा स्थल तक आयोजित की गई।
हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध कथा वाचक श्री हरि जी महाराज के मुखारविंद से कथा की जा रही हैं। नव दिवसीय श्रीमद् देवी भागवत कथा के सातवे दिन कि कथा में माता कालरात्रि की यह व्रत कथा पढ़ने से न केवल भय का नाश हो जाता है बल्कि आवश्यकता पड़ने पर भक्त अपने शत्रु का सामना करने से भी नहीं घबराते हैं। मां कालरात्रि हमेशा सच्चाई और न्याय पर चलने का संदेश देती है। एक समय पर, रक्तबीज नाम के एक राक्षस का आतंक फैल गया था। रक्तबीज के पास एक वरदान था कि उसके शरीर से गिरने वाला हर खून की बूंद एक नए राक्षस का जन्म ले लेती थी, यह वरदान उसे अमर बना रहा था, देवता और मनुष्य, सभी उसकी क्रूरता से पीड़ित थे। देवताओं ने इस समस्या का समाधान खोजने के लिए भगवान शिव से मदद मांगी। इस दानव का अंत केवल मां पार्वती ही कर सकती हैं। पौराणिक कथा के अनुसार, शुंभ-निशुंभ और रक्तबीज नाम के राक्षस ने लोकों में आतंक मचा रखा था। इनके अत्याचार से सभी देवी-देवता परेशान हो गए थे। ऐसे में देवी-देवता ने भगवान शिव से इस समस्या से मुक्ति पाने के लिए कोई उपाय मांगा। जब महादेव ने मां पार्वती को राक्षसों का वध करने का आदेश दिया, तो मां पार्वती ने मां दुर्गा का रूप धारण कर शुंभ-निशुंभ का वध किया। रक्तबीज को मिला था ये वरदान इसके बाद जब मां दुर्गा का सामना रक्तबीज से हुआ, तो उसके शरीर के रक्त से अधिक की संख्या में रक्तबीज दैत्य उत्पन्न हो गए, क्योंकि उसे वरदान मिला हुआ था कि यदि उनके रक्त की बूंद धरती पर गिरती है, तो उसके जैसा एक और दानव उत्पन्न हो जाएगा। ऐसे में दुर्गा ने अपने प्रकाश से मां कालरात्रि को प्रकट किया। इसके पश्चात मां दुर्गा ने दैत्य रक्तबीज का वध किया, तो मां कालरात्रि ने उसके शरीर से निकलने वाले रक्त को जमीन पर गिरने से पहले ही अपने मुख में भर लिया। इस तरह रक्तबीज का अंत हुआ।
यह आयोजन प्रतिदिन 20 नबंवर से 28 नवंबर तक कथा प्रतिदिन दोपहर 2ः30 बजे से शाम 6 बजे तक श्रीमद् देवी भागवत कथा का आयोजन किया जाएगा। कथा के दौरान पंडित श्री हरि महाराज के द्वारा पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की सनातन यात्रा का भी पूर्ण समर्थन सभी उपस्थित जनों के बीच किया गया. तत्पश्चात शाम 6 बजे आरती एवं प्रसाद वितरण किया जावेगा। शहर में पहली बार श्रीमद् देवी भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है सभी धर्म प्रेमी बंधुओ से इस अवसर पर गौतम परिवार ने सभी से अधिक से अधिक संख्या में पधारकर धर्म लाभ ले।

मानव के लिए मोह बला है जबकि मोक्ष कला है- निर्यापक मुनि श्री अभय सागर जी
पंचकल्याणक महोत्सव हेतु महापात्र का चयन
दमोह। 
महाकवि आचार्य विद्यासागर जी महाराज ने अपने महाकाव्य मुकमाटी मैं लिखा है कि मोह क्या बला है, और मोक्ष क्या कला है जीवन के इस रहस्य को जो जान लेता है उसका शीघ्र ही कल्याण हो जाता है आचार्य श्री दमोह को दमदार मोह वाली नगरी कहते थे किंतु दमोह के एक सुधी श्रावक ने अपने आप को निर्मोह बना लिया और अपने आप को आचार्य श्री के चरणों में समर्पित कर दिया वास्तव में दमोह वह है जिसने अपने मोह को दमित कर दिया मोह और मोक्ष के अंतर को जानाना मानव को आवश्यक है आत्मा जब तक विषम परिणाम में जीती है उसमें राग और द्वेष की मात्रा बढ़ती और घटती रहती है उन्होंने कहा कि बनिया वही है जो जीवन भर संकलन तो करता है किंतु समय आने पर समर्पित भी कर देता है जिस तरह बांध में अथाह जल राशि होती है किंतु दबाव के पूर्व जल निकासी के रास्ते भी होते हैं। इसके पूर्व छुलल्क श्री गरिष्ठ सागर जी महाराज ने अपने उद्बोधन में कहा कि अवसर मिलने पर पुण्य के संचय से वंचित नहीं रहना चाहिए क्योंकि कोरोना में सभी को पता लग गया की नोटों की गड्डियां काम नहीं आती विद्या गुरु के आशीर्वाद से हमें पंचकल्याणक महोत्सव का यह अवसर प्राप्त हुआ है।

इसके पश्चात शिव नगर पंचकल्याणक महोत्सव मुख्य प्रतिष्ठाचार्य ब्रह्मचारी जय कुमार निशांत भैया जी ने अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि यह पंच कल्याणक हमें शरीर से नहीं अपनी आत्मा से करना है यह भगवान का पंचकल्याणक यह पांचों का पंचकल्याणक नहीं है हर व्यक्ति को अपनी जिम्मेदारी पूर्ण श्रद्धा और लगन से निभानी चाहिए जिसको जो जिम्मेदारी मिले उसे निभाना है हमें आचार्य श्री की भावना के अनुरूप इस पंचकल्याणक को ऐतिहासिक बनाना है  प्रतिष्ठाचार्य पंडित आशीष एवं अभिषेक ने कहा कि इस पंचकल्याण को नई ऊंचाइयां प्रदान करना है दमोह में पंचकल्याणक से धर्म की माहिती प्रभावन होगी बिना किसी भेदभाव की विशुद्ध भावना से पंचकल्याणक को ऐतिहासिक बनाने में कोई कसर नहीं बाकी रखेंगे। इस अवसर पर शिवनगर पंच कल्याणक गजरथ महोत्सव समिति ने मुनि संघ को प्रतिष्ठाचार्य को श्रीफल भेंट कर आचार्य निमंत्रण दिया।
दोपहर में हुआ महोत्सव की के महापात्रों का चयन- जैन धर्मशाला प्रवचन हाल परिसर में दोपहर में पूज्य मुनि संघ के सानिध्य में पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के महापात्राओं का चयन महा बोलियों के साथ प्रारंभ किया गया। जिसमे सुनील डाबोलिया को सौधर्म इंद्र, रिंकू खजरी को कुबेर इंद्र, सुभाष बमोरिया को महा यज्ञ नायक, अंकित खजरी को राजा श्रेयांश, विनोद कुमार फैशन साड़ी को यज्ञ नायक, विनोद कुमार फैशन साड़ी को यज्ञ नायक, विवेक सिद्धार्थ नायक को राजा सोम, रोहित विनोद फैशन साड़ी को बाहुबली, विवेक नायक को बाहुबली, अंकित एशान को सनत इंद्र, मनीष मलैया को माहेंद्र, अमित प्रकाश को ईशान इंद्र बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। भगवान के माता-पिता बनने का सौभाग्य क्षमा श्रेयांश लहरी परिवार को प्राप्त हुआ। बुधवार 27 नवंबर को मुनिश्री अभय सागर जी महाराज के मंगल प्रवचन प्रातः बेला में नसिया जी मंदिर परिसर में होंगे।


About The Author

WP2Social Auto Publish Powered By : XYZScripts.com